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    Delhi High Court News: हत्या के दोषी को फरलो आवेदन में राहत, जेल प्रशासन को फटकार, जानें क्‍या है मामला

    Updated: Fri, 04 Jul 2025 05:11 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने हत्या के एक दोषी के फरलो आवेदन को खारिज करने के जेल प्रशासन के फैसले को अनुचित बताया है। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान कुछ दोषियों द्वारा आत्मसमर्पण में देरी होना असाधारण परिस्थितियों के तहत हुआ था इसे कठोरता से नहीं देखा जाना चाहिए।

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    महामारी के दौरान आत्मसमर्पण में देरी पर फरलो आवेदन खारिज करना अनुचित: हाई कोर्ट

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने हत्या के एक दोषी के फरलो आवेदन को खारिज करने के जेल प्रशासन के फैसले को अनुचित बताया है। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान कुछ दोषियों द्वारा आत्मसमर्पण में देरी होना असाधारण परिस्थितियों के तहत हुआ था, इसे कठोरता से नहीं देखा जाना चाहिए।

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    कोरोना के दौरान फरलो आवेदन खारिज करना अनुचित: कोर्ट

    अदालत ने कहा कि महामारी के समय में अदालतों और जेल अधिकारियों को व्याप्त परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए। पीठ ने टिप्पणी की कि आत्मसमर्पण में देरी का मामला दूरदराज के गांवों से आने वाले वंचित वर्ग के अपराधियों के संदर्भ में सहानुभूति और करुणा के साथ निपटाया जाना चाहिए।

    दोषी का जेल में आचरण संतोषजनक

    अदालत ने यह भी माना कि दोषी का जेल में समग्र आचरण संतोषजनक रहा है। वह जेल में लंगर सहायक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा है। इसे देखते हुए अदालत ने दोषी को दो सप्ताह के लिए फरलो पर रिहा करने का आदेश दिया।

    याचिका में क्या कहा गया था?

    आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषी ने अपनी याचिका में कहा था कि वह पिछले नौ साल और पांच महीने से जेल में है। उसे 2020 और 2021 में दो बार आपातकालीन पैरोल पर छोड़ा गया था। हालांकि, दोनों बार उसे आत्मसमर्पण करने में क्रमशः सात और 26 दिन की देरी हुई थी, जो महामारी के दौरान परिस्थितिजन्य थी।

    लंबे कारावास के तनाव को दूर करने की दलील

    दोषी ने फरलो की मांग करते हुए कहा कि लंबी सजा के कारण उसे मानसिक तनाव और अवसाद से जूझना पड़ रहा है। परिवार के साथ समय बिताना उसके मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। अदालत ने इस दलील को सही मानते हुए कहा कि कोरोना का समय सामान्य नहीं था और उस दौरान पूरा देश संकट और अनिश्चितता में था।

    अदालत का मानवीय दृष्टिकोण

    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी परिस्थितियों में जेल प्रशासन को कठोर रवैया नहीं अपनाना चाहिए। दोषी की फरलो याचिका को स्वीकार कर उसे दो सप्ताह के लिए छुट्टी दी गई है।