सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन-पेंशन को लेकर दिल्ली HC ने की अहम टिप्पणी, आप भी पढ़िये
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि वेतन और पेंशन पाना हर कर्मचारी का मौलिक अधिकार है और अदालत ऐसा कोई आदेश जारी नहीं करेगी जिससे कर्मचारियों के अधिकारों का हन ...और पढ़ें

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। वेतन और पेंशन पाना हर कर्मचारी का मौलिक अधिकार है और अदालत ऐसा कोई आदेश जारी नहीं करेगी, जिससे कर्मचारियों के अधिकारों का हनन हो। धन उपलब्ध नहीं होना वेतन और पेंशन समय पर नहीं देने का आधार नहीं हो सकता। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) की याचिका खारिज कर दी। एनडीएमसी ने कर्मचारियों के बकाया भुगतान करने की अवधि को पांच अप्रैल से बढ़ाकर 30 अप्रैल करने की मांग की थी, जिस पर पीठ ने निर्देश दिया कि बकाया भुगतान कर अनुपालन रिपोर्ट 27 अप्रैल को होने वाली सुनवाई पर पेश करें।
अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष अरविंद मिश्रा ने अधिवक्ता रंजीत शर्मा के माध्यम से याचिका दायर कर शिक्षकों व कर्मचारियों का बकाया वेतन व पेंशन भुगतान कराने की मांग की थी। इसके अलावा इस संबंध में कई अन्य याचिकाएं भी दायर हैं। याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने नौ मार्च को एनडीएमसी को पांच अप्रैल तक बकाया भुगतान करने का निर्देश दिया था। भुगतान नहीं करने पर एनडीएमसी ने हाई कोर्ट से और समय देने की मांग की थी।
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पीठ ने एनडीएमसी की दलील को खारिज करते हुए कहा कि निगम ने कर्मियों को अपनी सेवाएं देने के लिए नियुक्त किया है। यह निगम पर है कि वह अपने कर्मचारियों को भुगतान का रास्ता तलाश करे। पीठ ने कहा कि तीनों निगमों के आयुक्त इस निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निजी तौर पर जिम्मेदार होंगे।
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एनडीएमसी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता दिव्य प्रकाश पांडे ने कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से बेसिक टैक्स असाइनमेंट (बीटीए) का पूरा भुगतान नहीं मिलने के कारण बकाया भुगतान नहीं हो पा रहा है। वहीं, दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने कहा कि यह इकलौती सरकार है जिसे नगर निगमों को भुगतान करने के लिए केंद्र से रकम नहीं मिलती, बल्कि खुद ही व्यवस्था करनी पड़ती है।

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