'नाती-पोतों को अपने दादा-दादी के जीवित रहते उनकी संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा', हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
दिल्ली उच्च न्यायालय ने संपत्ति विवाद में फैसला सुनाते हुए कहा कि पोते-पोतियों को दादा-दादी की संपत्ति में तब तक हिस्सा नहीं मिल सकता जब तक उनके माता-पिता जीवित हैं। अदालत ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम-1956 का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि दादा-दादी की मृत्यु के बाद संपत्ति केवल उनके बच्चों को मिलती है।

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक संपत्ति विवाद मामले में अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने एक युवती द्वारा अपने पिता और मौसी के खिलाफ अपने दादा की संपत्ति में एक चौथाई हिस्सा मांगने के मामले को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि जब तक उनके माता-पिता जीवित हैं, पोते-पोतियों को दादा-दादी की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिल सकता।
अदालत ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (एचएसए)-1956 के अनुसार, दादा-दादी की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति केवल उनके बच्चों और जीवनसाथी को ही मिलती है।
याचिकाकर्ता कृतिका जैन ने दावा किया था कि यह पैतृक संपत्ति है और इसलिए उन्हें इसमें हिस्सा मिलना चाहिए। हालांकि, याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की पीठ ने कहा कि 1956 के बाद बच्चों को दादा-दादी से मिली संपत्ति पैतृक नहीं, बल्कि उनकी निजी संपत्ति मानी जाती है। इसलिए, पोते-पोतियों का उस संपत्ति में कोई स्वतः अधिकार नहीं है।
अदालत ने कहा कि दिवंगत पवन कुमार जैन की मृत्यु के बाद यह संपत्ति केवल उनकी पत्नी और बच्चों को ही मिली। चूँकि उस समय कृतिका के पिता जीवित थे, इसलिए कृतिका का उस पर कोई अधिकार नहीं है।
अदालत ने उपरोक्त टिप्पणी करते हुए और निर्णय देते हुए कृतिका जैन की मांग को अवैध मानते हुए खारिज कर दिया। कृतिका ने अपने पिता राकेश जैन और मौसी नीना जैन के खिलाफ मुकदमा दायर कर दादा स्वर्गीय पवन कुमार जैन की जनकपुरी स्थित संपत्ति में एक चौथाई हिस्सा मांगा था।
प्रतिवादी राजेश जैन और मौसी जैन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता विनीत जिंदल ने तर्क दिया कि HSA के तहत वादी के दादा की स्व-अर्जित संपत्ति पर पोती का कोई अधिकार नहीं है।
उन्होंने तर्क दिया कि वादी ने यह मुकदमा केवल अपने मुवक्किलों पर दबाव बनाने के उद्देश्य से दायर किया है। वहीं, कृतिका जैन की ओर से तर्क दिया गया कि HSA की धारा-8 के तहत उक्त संपत्ति प्रतिवादियों को हस्तांतरित नहीं की गई है और उनके दादा द्वारा स्व-अर्जित संपत्ति वादी की पैतृक संपत्ति है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।