भ्रामक और काल्पनिक दावे करने पर हाईकोर्ट ने दो पक्षकारों पर लगाया 50 हजार रुपये का जुर्माना
दिल्ली हाई कोर्ट ने जिला अदालत से मामले के ट्रांसफर के लिए दायर याचिका में गलत दावे करने पर दो लोगों पर 50 हजार का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज ने प्रतिवादी से दोस्ताना व्यवहार किया यह आरोप न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है। याचिकाकर्ताओं ने बिना सबूत के झूठे आरोप लगाए थे और बाद में वही जज के सामने पेश होते रहे।

जागरण संवाददाता,नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने जिला अदालत से मामले के स्थानांतरण के लिए दायर याचिका में भ्रामक और काल्पनिक दावे करने पर दो पक्षकारों पर 50 हजार जुर्माना लगाया है। न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिका इस आधार पर दायर की गई थी कि ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश ने प्रतिवादी से अदालत में मित्रवत व्यवहार किया।
अदालत ने कहा कि ऐसे आरोप न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को कम करते हैं और इन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता सिर्फ बिना किसी प्रमाण के ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश पर अनावश्यक, कल्पित और झूठे आरोप लगाने की कोशिश कर रहे थे। पीठ के अनुसार याचिकाकर्ता की याचिका उपजाऊ कल्पना का उत्पाद थी। पीठ ने यह भी नोट किया कि याचिकाकर्ता घटना के बाद भी इसी न्यायाधीश के सामने पेश होते रहा।
ये मामला तीस हजारी स्थित सत्र अदालत में किराया वसूली से जुड़ा था। दोनों याचिकाकर्ता चाहते थे कि मामला किसी अन्य न्यायाधीश की स्थानांतरित किया जाए क्योंकि उनके अनुसार अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने प्रतिवादी से मित्रवत व्यवहार किया।
याचिकाकर्ताओं ने इसी तरह की स्थानांतरण याचिका प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (सेंट्रल), तीस हजारी कोर्ट में भी दायर की थी, लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया।
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