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    'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता...', कैंसर पर सिद्धू के दावे के खिलाफ याचिका खारिज; पढ़ें पूरा मामला

    Updated: Wed, 04 Dec 2024 03:23 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Sidhu) के दावों के खिलाफ याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि कुछ उपचारों ने उनकी पत्नी को स्टेज 4 के कैंसर से लड़ने में मदद की है। कोर्ट ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू ने केवल अपनी राय व्यक्त की थी।

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    हाई कोर्ट के रुख को देखते हुए याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा उनकी पत्नी के आहार और आयुर्वेद के माध्यम से स्टेज-चार के कैंसर से ठीक होने के दावों पर वैज्ञानिक अध्ययन के लिए निर्देश देने की मांग से जुड़ी जनहित याचिका पर विचार करने से दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को इनकार कर दिया है।

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    सिद्धू के दावे को सोशल मीडिया से हटाने की थी मांग

    याचिककर्ता दिव्या राणा ने याचिका में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स और मेटा पर इस बारे में सिद्धू द्वारा किए गए पोस्ट को अस्थायी रूप से हटाने की भी मांग की गई। अदालत ने कहा कि यह सिद्धू का व्यक्तिगत विचार है और सभी को इस देश में अपनी बात रखने का अधिकार है।

    हाई कोर्ट ने कहा- याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता

    अदालत ने कहा कि यह उसके अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं है। इस पर विचार नहीं किया जा सकता। साथ कोर्ट ने याची के अधिवक्ता को शराब और सिगरेट के उत्पादन को लेकर याचिका दायर करने को कहा। अदालत के रूप को देखते हुए याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली।

    नवजोत सिद्धू ने रखी थी अपनी राय

    मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू ने केवल अपनी राय व्यक्त की थी और याचिकाकर्ता भी दावों का मुकाबला करने के लिए स्वतंत्र है। पीठ ने कहा, "वह केवल अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। याचिकाकर्ता उनके दावों का मुकाबला बातों से करें, न कि कानूनी कार्रवाई से।

    'अभी भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है'

    अदालत ने कहा कि हमारे देश में अभी भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।" पीठ ने इस बात पर जोर दिया, "आप यह नहीं कह सकते कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। आप उनके दावे का विरोध करें। यह हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं है। यदि आप उनके विचारों से सहमत नहीं हैं, तो उनकी बात न सुनें। ऐसी बहुत सी पुस्तकें हैं जो आपको खराब लग सकती हैं, उन्हें न पढ़ें। अवमानना ​​के डर से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना इसका उद्देश्य नहीं है।"

    हजारों लोग करते हैं ऐसे दावे

    अदालत ने कहा, "हम इस पर याचिका पर विचार नहीं कर सकते। हजारों लोग दावा करते हैं कि उनके पास किसी चीज का इलाज है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे।"

    उल्लेखनीय है कि बीते 21 नवंबर को अमृतसर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिद्धू ने उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू का कैंसर आयुर्वेद के जरिये ठीक होने का दावा किया था। साथ ही उन्होंने ऐसे रोगियों के लिए कुछ आहार और जीवनशैली में बदलाव पर जोर दिया था।

    (यह जानकारी जागरण संवाददाता और समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट पर आधारित है।)