दिल्ली एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन के लिए टेलीकाॅम अपग्रेडेशनल जरूरी, डीएमआरसी के खिलाफ याचिका खारिज
दिल्ली हाई कोर्ट ने डीएमआरसी के एक फैसले में दखल देने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर का अपग्रेडेशन जरूरी है। कोर्ट ने उस कंपनी की याचिका खारिज कर दी जिसे 5जी सेवाएं शुरू करने का काम दिया गया था लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई। डीएमआरसी ने इंडस टावर्स लिमिटेड को नियुक्त किया था जिसके खिलाफ कंपनी ने याचिका दायर की थी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली मेट्रो रेल काॅरपोरेशन (डीएमआरसी) के एक निर्णय में हस्तक्षेप करने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया।
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि टेलीकाॅम इंफ्रास्टक्चर का अपग्रेडेशन अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन का एक अभिन्न अंग है।
यह दिल्ली के यात्रियों के लिए एक जीवनरेखा है और आईजीआई हवाई अड्डे को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से जोड़ती है।
हालांकि, न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने खेद व्यक्त किया कि 5जी सेवाओं के शुभारंभ के तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद जिस कंपनी को शुरू में 'इनबिल्डिंग साॅल्यूशंस' स्थापित करने का काम सौंपा गया था, उसने न तो 5जी सेवाएं स्थापित कीं और न ही उन्हें शुरू किया।
कंपनी ने डीएमआरसी के उस निर्णय को चुनौती दी थी, जिसमें उसे उक्त कार्य से हटाकर इंडस टावर्स लिमिटेड को इसके लिए नियुक्त किया था। इन-बिल्डिंग साॅल्यूशन (आईबीएस) के प्रविधान से संबंधित कार्य 2019 में याचिकाकर्ता कंपनी क्रेस्ट डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया था।
इसके लिए उसे मेट्रो ट्रेन सेवाओं का उपयोग करने वाले यात्रियों के लिए निर्बाध मोबाइल नेटवर्क कवरेज सुनिश्चित करना आवश्यक था। डीएमआरसी के अनुसार याचिकाकर्ता कंपनी इसमें पूरी तरह विफल रही और इस संबंध में विभिन्न शिकायतें प्राप्त हो रही थीं।
यह भी तर्क दिया कि सेवा ब्लैकआउट और मोबाइल नेटवर्क कवरेज में रुकावट यात्रियों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है। इन कमियों को दूर करने के लिए डीएमआरसी ने कहा कि उसे इंडस टावर्स को नियुक्त करने के लिए बाध्य होना पड़ा।
वहीं, याचिकाकर्ता कंपनी ने तर्क दिया कि उसने डीएमआरसी के साथ अपने लाइसेंस समझौते के आधार पर दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ समझौते किए थे और संस्था द्वारा अचानक यू-टर्न लेने से उसके व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
अदालत ने कहा कि कनेक्टिविटी हर समय आपातकालीन संचार, यात्री सुरक्षा और परिचालन समन्वय को सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 5जी सेवाओं का समर्थन करने के लिए बुनियादी ढांचे का अपग्रेडेशन भी अनिवार्य है।
यह भी नोट किया कि इंडस टावर्स लिमिटेड याचिकाकर्ता कंपनी द्वारा भुगतान किए जा रहे वर्तमान लाइसेंस शुल्क के बराबर राशि देने को तैयार है। उक्त तथ्यों को देखते हुए अदालत ने डीएमआरसी के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया।
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