'दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम में करें संशोधन', दिल्ली हाई कोर्ट का विधि आयोग को आदेश
दिल्ली हाई कोर्ट ने विधि आयोग को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 में संशोधन करने का निर्देश दिया है ताकि उच्च शिक्षण संस्थानों में दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित रिक्त पदों को अगले शैक्षणिक वर्ष में स्थानांतरित किया जा सके। अदालत ने यह फैसला जाह्नवी नागपाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया जिसमें उन्होंने NEET-UG 2022 में दिव्यांग श्रेणी के तहत सीट आवंटन की मांग की थी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय विधि आयोग से दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 में संशोधन करने का निर्देश दिया हैं।
ताकि उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए दिव्यांगजनों की अनुपलब्धता के कारण रिक्त पदों को अगले शैक्षणिक वर्ष के लिए आगे बढ़ाने का प्रविधान शामिल किया जा सके।
अदालत ने विधि आयोग काे इस पर अध्ययन करने और अधिनियम में संशोधन की सिफारिश करने का अनुरोध किया।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषरा राव गेडेला की पीठ ने कहा कि अदालत की राय में दिव्यांगजनों की अनुपलब्धता ने नहीं भरी जा सकीं सीटों को उच्च शिक्षण संस्थानों को अगले शैक्षणिक वर्ष के लिए आगे बढ़ाने का प्रविधान दिव्यांगजन अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने में मददगार होगा।
अदालत ने कहा कि विकलांगता की सीमा का आकलन करने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में नए मेडिकल बोर्ड द्वारा नए सिरे से चिकित्सा परीक्षण कराने का निर्देश जारी किया जाए। अदालत ने उक्त आदेश जाह्नवी नागपाल की ओर से दायर एक याचिका पर दिया।
याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को निर्देश देने की मांग की थी कि वे आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम की धारा 32 के अनुसार नीट-यूजी 2022 में दिव्यांग श्रेणी के अंतर्गत रिक्तियों में से एक सीट उन्हें आवंटित करें।
इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम की धारा 32(1) को असंवैधानिक घोषित करने की भी मांग की थी।
याचिका का निपटारा करते हुए अदालत ने कहा कि अधिनियम की धारा 34 में निहित सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण प्रदान करने की योजना और धारा 32 में निहित उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की योजना के बीच विरोधाभास है।
साथ ही यह भी कहा कि समय की मांग है कि केंद्र सरकार नागपाल की ओर से उठाए गए मुद्दों का समाधान करे ताकि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के प्रविधानों को दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के लिए पूरी ताकत के साथ लागू किया जा सके।
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