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    दिल्ली हाईकोर्ट का केंद्र को निर्देश- महिलाओं को CISF में शामिल करने के लिए छह सप्ताह में करें नियमों में संशोधन

    By Vineet TripathiEdited By: Geetarjun
    Updated: Tue, 19 Dec 2023 10:40 PM (IST)

    केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में सिपाही/चालक और चालक-सह-पंप ऑपरेटर के रूप में बल में शामिल होने का रास्ता जल्द ही साफ हो जाएगा। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले पर निर्णय लेने में देरी करने पर सवाल उठाते हुए सीआईएसएफ को छह महीने के भीतर अपने नियमों में संशोधन करने का निर्देश दिया। अदालत इस पर जुलाई माह में अगली सुनवाई करेगी।

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    हाईकोर्ट का केंद्र को निर्देश- महिलाओं को CISF में शामिल करने के लिए छह सप्ताह में करें नियमों में संशोधन

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में सिपाही/चालक और चालक-सह-पंप ऑपरेटर के रूप में बल में शामिल होने का रास्ता जल्द ही साफ हो जाएगा। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले पर निर्णय लेने में देरी करने पर सवाल उठाते हुए सीआईएसएफ को छह महीने के भीतर अपने नियमों में संशोधन करने का निर्देश दिया। वर्तमान में इन पदों पर केवल पुरुषों की ही नियुक्ति की जाती है।

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    कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने यह कहते हुए आदेश पारित किया कि भले ही सीआईएसएफ ने मई 2023 में अदालत को बताया था कि वह अपने नियमों को बदलने के लिए कदम उठा रहा है, लेकिन इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि महिलाओं की भर्ती कब होगी और इन पदों को अनुमति दी जाएगी।

    अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार निर्णय लेने में इतना अस्पष्ट कैसे हो सकतर है? अदालत ने आदेश पारित करते हुए कहा कि इसका अनुपालन करें। अदालत इस पर जुलाई माह में अगली सुनवाई करेगी।

    अदालत ने उक्त सवाल तब उठाया जब केंद्र सरकार के स्थायी वकील राजेश गोगना ने पीठ के समक्ष कहा कि उनके पास इस बारे में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है कि बदलाव कब होंगे। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने उन्हें केवल यह जानकारी दी है कि नियमों में संशोधन करने की कोई समयसीमा नहीं दी जा सकती।

    वहीं, याचिकाकर्ता कुश कालरा की तरफ से पेश हुईं अधिवक्ता चारू वली खन्ना ने पीठ को सूचित किया कि छह महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी सीआईएसएफ स्थिति स्पष्ट नहीं कर पा रहा है, जबकि पूर्व में नियमों में संशोधन की बात कही गई थी। 

    अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि सीआईएसएफ अपनी दलीलों में इतना अस्पष्ट नहीं हो सकता और संशोधन छह महीने में किए जाने चाहिए। मामले पर अगली सुनवाई 15 जुलाई 2024 को होगी।

    कुश कालरा ने बल में अग्निशमन सेवाओं के लिए सिपाही/चालक/चालक-सह-पंप ऑपरेटर के पदों के लिए केवल पुरुष उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित करने से जुड़े विज्ञापन के विरुद्ध वर्ष 2018 में याचिका दायर की थी। उन्होंने इन पदों पर महिलाओं की भर्ती की अनुमति देने के निर्देश देने की मांग की।

    उन्होंने तर्क दिया था कि सीआईएसएफ द्वारा इन पदों पर महिलाओं को रोजगार से वंचित करने का कोई उचित औचित्य नहीं है, जबकि उन्हें पहले से ही अन्य कर्तव्यों के लिए सीआईएसएफ में भर्ती किया जा रहा है।