परीक्षा में ढिलाई बरतने पर फैलेगी अव्यवस्था, अनुशासन जरूरी, इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीयूईटी-यूजी परीक्षा में देरी से पहुंचने के कारण परीक्षा में बैठने से वंचित एक उम्मीदवार को राहत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि प्रवेश पत्र में उल्लिखित समय के बाद पहुंचने पर ढिलाई नहीं बरती जा सकती क्योंकि इससे परीक्षा के अनुशासन का उल्लंघन होगा और समान छात्रों के बीच असमानता पैदा होगी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी-यूजी) परीक्षा में निर्धारित समय से देर से पहुंचने के कारण परीक्षा न दे पाने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अभ्यर्थी को राहत देेने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह व न्यायमूर्ति रजनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता प्रवेश पत्र में निर्धारित गेट बंद होने के समय के बाद परीक्षा केंद्र पर पहुंची थी। पीठ ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर आयोजित परीक्षा में ढिलाई बरतने से अव्यवस्था फैलेगी और परीक्षा का अनुशासन बनाए रखा जाना चाहिए।
अदालत ने उक्त टिप्पणी के साथ याचिकाकर्ता साधना यादव को राहत देने से इनकार करने के एकल पीठ के निर्णय को बरकरार रखा और आदेश को चुनौती देने वाली अभ्यर्थी की याचिका खारिज कर दी।
पीठ ने कहा कि सीयूईटी एक महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षा है और परीक्षा हाल में समय पर पहुंचना, समय पर सीट लेना और गेट बंद होने के समय से पहले केंद्र पर पहुंचना, ये सभी परीक्षा प्रणाली के अनुशासन हिस्सा है।
इसमें किसी भी तरह की ढ़िलाई नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि इससे समान स्थिति वाले छात्रों के बीच भारी असमानता पैदा हो सकती है। ऐसे में गेट बंद करने के समय के नियम को सख्ती से लागू करने के लिए अधिकारियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
पीठ ने कहा कि परीक्षा केंद्रों पर देरी से पहुंचने वाले छात्रों की संख्या अधिक हो सकती है और अपीलकर्ता उम्मीदवार के पक्ष में अपवाद नहीं बनाया जा सकता।
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