19 साल तक फरार रहे हत्यारोपी नरेंद्र बब्बर को दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत नहीं, त्वरित सुनवाई के आदेश
दिल्ली हाई कोर्ट ने 2004 में पश्चिम विहार में हुई एक महिला की हत्या के मामले में 19 साल से फरार आरोपी नरेंद्र कुमार बब्बर उर्फ डैडी की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला सुनाया जिसमें अपराध स्थल से मिले फिंगरप्रिंट आरोपी से मेल खाते थे। अदालत ने ट्रायल कोर्ट को मामले की जल्द सुनवाई का निर्देश दिया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पश्चिम विहार में अगस्त 2004 में एक महिला की गला घोंटकर हत्या करने के मामले में 19 साल फरार रहे रहे भगोड़ा आरोपित नरेंद्र कुमार बब्बर उर्फ डैडी को दिल्ली हाई कोर्ट ने नियमित जमानत देने से इन्कार कर दिया। अदालत ने कहा कि फोरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार अपराध स्थल से उठाए गए अंगुलियों के निशान अभियुक्त की अंगुलियों के निशानों से मेल खाते हैं।
जमानत याचिका खारिज कर दी
अदालत ने कहा कि आरोपित को ट्रायल कोर्ट ने वर्ष 2007 में भगोड़ा घोषित किया था और उसका वर्ष 2023 तक कोई पता नहीं लगा था। ऐसे में मुकदमे के लिए उपस्थित न होने के संबंध में ट्रायल कोर्ट व अभियोजन द्वारा सही सवाल उठाया गया है।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि आरोपित पर लगे आराेप संगीन हैं और उसे जमानत नहीं दी जा सकती है। हालांकि, पीठ ने वर्ष 2004 में हुए अपराध को देखते हुए पीठ ने ट्रायल कोर्ट को मामले में तेजी से सुनवाई का निर्देश देते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी।
महिला से बदसलूकी शुरू कर दी
याचिका के अनुसार, 27 अगस्त 2004 को आरोपित पश्चिम विहार स्थित महिला के घर गया था और उसके घरेलू सहायक राकेश ने दरवाजा खोला था। जब आरोपित अंदर आया तो राकेश को पड़ोसी के बारे में पता करने के लिए भेजा गया।
राकेश के जाने के बाद आरोपित ने महिला से बदसलूकी शुरू कर दी और उसे बिस्तर पर धकेल कर गला घोंटकर हत्या कर दी।
इसी बीच वहां पहुंचे राकेश ने घटना को देखा। इस पर आरोपित ने उसके साथ भी मारपीट की और घटना के बारे में किसी को बताने पर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी। राकेश व महिला के पति ने आराेपित की पहचान की थी।
कहा-मामले में झूठा फंसाया गया
हालांकि, आरोपित के फरार होने पर ट्रायल कोर्ट ने 28 फरवरी 2007 को उसे भगोड़ा करार दे दिया था। 17 मार्च 2023 को उसे गिरफ्तार किया गया। आरोपित की जमानत याचिका ट्रायल कोर्ट ने 10 जनवरी 2025 को खारिज कर दी थी।
वहीं, आरोपित ने कहा कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया था। यह भी तर्क दिया कि 26 में से अब तक तीन गवाहों का परीक्षण किया गया है। हालांकि, अदालत ने उसके तर्कों को ठुकरा देते हुए जमानत देने से इन्कार कर दिया।
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