'उचित प्रमाण के बिना सबूत के रूप में वॉट्सऐप चैट को नहीं पढ़ा जा सकता', दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एक रिट याचिका पर विचार करते समय वॉट्सऐप वार्तालापों के स्क्रीनशॉट को ध्यान में नहीं रखा जा सकता है जब यह दिखाने के लिए कुछ भी नहीं था कि बातचीत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई थी। अदालत ने कहा कि राज्य आयोग के आदेश में इसकी कोई चर्चा नहीं है।

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। वॉट्सऐप पर हुए वार्तालाप को सबूत के रूप में पेश करने के बिंदु पर दिल्ली हाईकोर्ट ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि साक्ष्य अधिनियम-1872 के तहत अनिवार्य उचित प्रमाण पत्र के बिना वॉट्सऐप वार्तालाप को साक्ष्य के रूप में नहीं पढ़ा जा सकता है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एक रिट याचिका पर विचार करते समय वॉट्सऐप वार्तालापों के स्क्रीनशॉट को ध्यान में नहीं रखा जा सकता है, जब यह दिखाने के लिए कुछ भी नहीं था कि बातचीत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई थी। अदालत ने कहा कि राज्य आयोग के आदेश में इसकी कोई चर्चा नहीं है।
अदालत ने डेल इंटरनेशनल की याचिका खारिज की
अदालत ने उक्त टिप्पणी करते हुए डेल इंटरनेशनल सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की याचिका काे खारिज कर दिया। डेल इंटरनेशनल ने दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी गई थी। उक्त आदेश में राज्य आयोग ने जिला आयोग के उस निर्णय को बरकरार रखा था, जिसमें कंपनी के लिखित बयान को निर्धारित सीमा की अवधि में दायर नहीं करने पर रिकॉर्ड में लेने से इनकार कर दिया गया था।
डेल को समन के साथ मिला था दस्तावेज का पूरा सेट
पीठ ने याचिका पर राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि डेल ने 31 जनवरी 2023 को ही अपना लिखित बयान दाखिल कर तर्क दिया था कि उसे समन के साथ दस्तावेज का पूरा सेट नहीं मिला था, जबकि वास्तव में उसे समन के साथ दस्तावेज का पूरा सेट दिया गया था। ऐसे में जिला आयोग द्वारा लिखित प्रस्तुतिकरण दाखिल करने में देरी को माफ करने से इन्कार करने के निर्णय में कुछ गलत नहीं प्रतीत होता। ऐसे में याचिका खारिज की जाती है।
आदिल फिरोज ने डेल के खिलाफ दर्ज की थी शिकायत
2022 में जिला आयोग के समक्ष आदिल फिरोज नामक व्यक्ति द्वारा डेल के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। डेल इंटरनेशनल ने फिरोज व कंपनी के बीच हुई बातचीत को प्रदर्शित करने के लिए एक वॉट्सऐप स्क्रीनशाट दायर किया। इसमें कहा गया कि सभी अनुलग्नकों के साथ शिकायत की पूरी प्रति उसे प्राप्त नहीं हुई थी। यह भी तर्क दिया था कि केवल 31 जनवरी 2023 को जिला आयोग के समक्ष उसके वकील को सौंप दिया गया था। जिला आयोग ने माना कि लिखित बयान दाखिल करने में सात दिनों की देरी को माफ करने के लिए डेल का आवेदन प्रामाणिक नहीं था।
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