दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला- नाबालिग लड़की से बने संबंध से पैदा बच्चे को जैविक पिता को सौंपा जाए
Delhi High Court News किशोरी ने अदालत में कहा कि बालिग होने तक वह शेल्टर होम में रहने को तैयार है क्योंकि वह अपने स्वजन के साथ नहीं रहना चाहती। बच्चे को उस व्यक्ति को सौंप दिया जाए जो उसका जैविक पिता है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नाबालिग लड़की से बने संबंध से पैदा हुए बच्चे को उसकी मां की सहमति से दिल्ली हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपों का सामना कर रहे जैविक पिता को सौंपने की अनुमति दे दी। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने कहा कि किशोरी अभी नाबालिग है और उसे बालिग होने तक आश्रय गृह में रखा जाएगा। इसके बाद कहीं भी रहने के लिए स्वतंत्र है। पीठ ने यह आदेश पीड़िता का बयान सुनने के बाद दिया।
किशोरी अपने परिजनों के साथ नहीं रहना चाहती
किशोरी ने अदालत में कहा कि बालिग होने तक वह शेल्टर होम में रहने को तैयार है, क्योंकि वह अपने स्वजन के साथ नहीं रहना चाहती। बच्चे को उस व्यक्ति को सौंप दिया जाए जो उसका जैविक पिता है। वहीं, सुनवाई के दौरान आरोपित के माता-पिता ने कहा कि वे बच्चे की पर्याप्त देखभाल करेंगे।
लड़की के परिवार ने जैविक पिता पर दर्ज कराया था दुष्कर्म का मामला
लड़की के स्वजन ने बच्चे के जैविक पिता के खिलाफ अपहरण व दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। हालांकि, 28 सितंबर को हाई कोर्ट ने आरोपित को जमानत दे दी थी। अदालत के समक्ष बच्चे की कस्टडी को लेकर मामला चल रहा था।
आपसी सहमति से रिश्ता बना
किशोरी की मां ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 21 मार्च को वह स्कूल गई थी, लेकिन वापस नहीं आई। 15 अप्रैल को जब मिली तो मेडिकल जांच में पता चला कि वह पांच महीने की गर्भवती है। पुलिस को दिए अपने बयान में किशोरी ने कहा था कि भाभी से विवाद होने के बाद किसी को बताए बगैर वह घर से चली गई थी और उसे नहीं पता कि वह गर्भवती कैसे हुई। हालांकि, जब आरोपित ने जमानत के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की, तब कोर्ट को पता चला कि दोनों के बीच आपसी सहमति से रिश्ता बना था और उन्होंने स्वेच्छा से एक-दूसरे से शादी की थी।
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