बाहरी अध्ययन केंद्रों के विस्तार की अनुमति देने से पनप सकता है घटिया शिक्षा का बाजार: दिल्ली हाईकोर्ट
अधिकारियों की आवश्यक स्वीकृति के बगैर राज्य के बाहर चलने वाले बाहरी अध्ययन केंद्रों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने अहम निर्णय सुनाया है। न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की पीठ ने कहा कि बगैर स्वीकृति के संचालित बाहरी अध्ययन केंद्रों के विस्तार की अनुमति देना नासमझी होगी और इससे न सिर्फ घटिया शिक्षा का बाजार पनप सकता है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। अधिकारियों की आवश्यक स्वीकृति के बगैर राज्य के बाहर चलने वाले बाहरी अध्ययन केंद्रों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने अहम निर्णय सुनाया है। न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की पीठ ने कहा कि बगैर स्वीकृति के संचालित बाहरी अध्ययन केंद्रों के विस्तार की अनुमति देना नासमझी होगी और इससे न सिर्फ घटिया शिक्षा का बाजार पनप सकता है, बल्कि अनगिनत लोग गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने से वंचित हो सकते हैं। अदालत ने कहा कि ऐसे अध्ययन केंद्रों के अनियंत्रित प्रसार से शैक्षणिक साख का अवमूल्यन होगा।
उक्त टिप्पणी करते हुए अदालत ने सिक्किम महिपाल विश्वविद्यालय (एसएमयू, SMU) से ली गई डिग्री के आधार पर एक पाठ्यक्रम में दाखिला देने से इनकार करने के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू, IGNOU) के निर्णय के विरुद्ध याचिकाकर्ता सौरभ शुक्ला की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि ऐसे अनुमति देने के संभावित परिणाम उन छात्रों की आकांक्षाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा, जो वैध तरीकों से शिक्षा प्राप्त करने में अपना समय और संसाधन निवेश करते हैं।
याचिकाकर्ता सौरभ शुक्ला ने नोएडा स्थित सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय के बाहरी अध्ययन केंद्र से वर्ष 2014 में बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (बीसीए, BCA) पाठ्यक्रम में 10 मई 2018 को अपनी डिग्री प्राप्त की। शैक्षणिक सत्र 2018-19 के लिए पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा इन बुक पब्लिशिंग (पीजीडीबीपी) में प्रवेश के लिए सौरभ के आवेदन को इग्नू ने खारिज कर दिया था।
सौरभ ने इग्नू को उक्त पाठ्यक्रम में प्रवेश देने के लिए निर्देश देने की मांग की। सौरभ ने तर्क दिया कि आरटीआई से मिली जानकारी में कहा गया कि सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय राज्य अधिनियम के तहत स्थापित एक निजी विश्वविद्यालय है और इसलिए इसका संचालन केवल सिक्किम तक ही सीमित है।
ऐसे में एसएमयू के आफ कैंपस सेंटर के माध्यम से प्राप्त डिग्री इग्नू में शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए स्वीकार्य नहीं हैं। सौरभ ने तर्क दिया कि गैर-मान्यता प्राप्त डिग्री के बहाने इग्नू में पढ़ाई करने के अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
हालांकि, उनके तर्कों को ठुकराते हुए अदालत ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम संचालित करने के लिए एसएमयू को मंजूरी देने की सूचना देते समय इग्नू ने स्पष्ट रूप से कहा था कि संस्थान का क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र किसी भी स्थिति में सिक्किम से बाहर नहीं होगा। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी शिक्षा उस माध्यम से पूरी की जो न तो निर्धारित थी और न ही कानूनी मानी जाती थी। ऐसे में पात्रता पूरी किए बिना याची पीजीडीएमएस पाठ्यक्रम में प्रवेश का दावा नहीं कर सकता।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।