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    Delhi High Court: DU में CLAT के आधार पर पांचवर्षीय लॉ कोर्स में एडमिशन पर HC की मुहर, कोर्ट ने दिया यह आदेश

    By Jagran NewsEdited By: Prince Sharma
    Updated: Tue, 19 Sep 2023 06:45 AM (IST)

    Delhi High Court दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को वर्तमान शैक्षणिक वर्ष के लिए सामान्य विधि परीक्षा-स्नातक (क्लैट-यूजी)- 2022 अंक के आधार पर नए शुरू किए गए पांच वर्षीय एकीकृत कानून पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने की अनुमति दे दी है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने इस तथ्य पर विचार करते हुए।

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    Delhi High Court: DU में CLAT के आधार पर पांचवर्षीय लॉ कोर्स में एडमिशन पर HC की मुहर

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को वर्तमान शैक्षणिक वर्ष के लिए सामान्य विधि परीक्षा-स्नातक (क्लैट-यूजी)- 2022 अंक के आधार पर नए शुरू किए गए पांच वर्षीय एकीकृत कानून पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने की अनुमति दे दी है।

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    छात्र की याचिका पर दिया फैसला

    मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने इस तथ्य पर विचार करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया कि अन्य सभी विश्वविद्यालयों में इस शैक्षणिक वर्ष के लिए कक्षाएं पहले ही शुरू हो चुकी हैं। अदालत ने उक्त आदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) के बजाय केवल क्लैट-यूजी 2023 स्कोर के आधार पर प्रवेश की पेशकश करने के डीयू के निर्णय को चुनौती देने वाली विधि संकाय के छात्र प्रिंस सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

    अदालत ने कहा कि इस मामले पर विचार करने की आवश्यकता है और इसे अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है। अदालत ने कहा कि यह तय किया जाएगा कि क्या सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए सीयूईटी अनिवार्य होना चाहिए या क्या ऐसे विश्वविद्यालयों को प्रवेश के मामले में निर्णय लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। साथ ही मामले में अदालत का सहयोग करने के लिए पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज को न्याय मित्र भी नियुक्त किया।

    यूजीसी ने अपनी 566वीं बैठक में निर्णय लिया

    सुनवाई के दौरान अदालत ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा दायर ताजा हलफनामा को रिकार्ड पर लिया। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि इंजीनियरिंग, कानून और चिकित्सा जैसे पेशेवर विशेष पाठ्यक्रमों के लिए सीयूईटी अनिवार्य नहीं है और ऐसे पाठ्यक्रमों की पेशकश करने वाले विश्वविद्यालय क्लैट व नीट जैसी विशेष एजेंसियों का उपयोग करके प्रवेश परीक्षा आयोजित करन सहित विभिन्न प्रवेश मानदंड अपना सकते हैं। हालांकि, हलफनामे में यह भी कहा गया कि यूजीसी ने अपनी 566वीं बैठक में निर्णय लिया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सभी सामान्य डिग्री कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए सीयूईटी अनिवार्य होगा।

    मूल्यांकन के लिए चाहिए होते हैं मानदंड

    सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि कानून जैसे विशेष पाठ्यक्रमों के लिए सीयूईटी अनिवार्य नहीं है। अदालत ने कहा कि यूजीसी ने याचिका का विरोध करते हुए विश्वविद्यालय के फैसले का समर्थन किया है। अदालत ने कहा कि पांच वर्षीय एकीकृत कानून कार्यक्रम में प्रवेश के लिए छात्रों का चयन करने के लिए मूल्यांकन के संदर्भ में अलग-अलग मानदंडों की आवश्यकता हो सकती है।

    इसके अलावा याचिका का शिक्षा मंत्रालय ने भी विरोध करते हुए कहा है कि डीयू अपने दैनिक मामलों के प्रबंधन में एक स्वायत्त निकाय है और विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश डीयू के अपने कानून द्वारा शासित होता है। 

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