नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली आबकारी नीति घोटाला से जुड़े मामले की रिपोर्टिंग में दो निजी चैनलों के प्रति दिल्ली हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यूज ब्राडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्डस अथारिटी (एनबीडीएसए) की कार्यणाली पर सवाल उठाए है। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने एनबीडीएसए से सवाल किया कि अगर उसका सेल्फ रेगुलेशन महज दिखावा है तो क्यों न एसोसिएशन को भंग कर दिया जाए। साथ ही न्यूज चैनलों को निर्देश दिया कि आबकारी नीति से जुड़े मामले की रिपोर्टिंग केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जारी आधिकारिक संचार के आधार पर ही करें।
आप के मीडिया प्रभारी ने दायर की थी याचिका
अदालत ने यह टिप्पणी आम आदमी पार्टी के पूर्व मीडिया प्रभारी विजय नायर की याचिका पर की। नायर ने आरोप लगाया है कि मामले से जुड़ी संवेदनशील जानकारी एजेंसियां मीडिया को लीक कर रही हैं। सुनवाई के दौरान ईडी के वकील ने बताया कि जांच के संबंध में कोई प्रेस विज्ञप्ति जारी नहीं की है, जबकि सीबीआइ ने कहा कि उसने तीन जन संचार जारी किए हैं। हालांकि, दोनों एजेंसियों ने कहा कि नायर से जुड़ा प्रसारण उनके द्वारा जारी किए गए किसी संचार पर आधारित नहीं था। नायर ने याचिका में कहा था कि अगर मीडिया संस्थान कल्पनाओं के आधार पर ऐसी संवेदनशील सूचनाएं चला रहे हैं तो यह खतरनाक है।
आबकारी नीति में नायर भी आरोपित
पीठ ने कहा कि यह हमारे के लिए संकेत हैं। कृष्णन ने कहा था कि मामले की जांच अहम मोड़ पर है और ऐसे में इस तरह की जानकारी मीडिया में आने से उनके मुवक्किल का अधिकार खत्म होता है। आबकारी नीति मामले में नायर भी आरोपित हैं और ईडी ने नायर को विभिन्न स्थानों पर छापेमारी के बाद 27 सितंबर को गिरफ्तार किया था। वर्तमान में नायर न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं।
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