मद्रासी कैंप के बाद अब दिल्ली के इस इलाके में चलेगा बुलडोजर, हाईकोर्ट ने ध्वस्तीकरण की दी अनुमति
दिल्ली हाई कोर्ट ने कालकाजी के भूमिहीन कैंप में डीडीए को ध्वस्तीकरण की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने सार्वजनिक भूमि पर कब्जा करने वालों को राहत देने से इन ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कालका जी के भूमिहीन कैंप पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का रास्ता साफ करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सार्वजनिक भूमि पर कब्जा करने वालों को राहत देने से इनकार कर दिया। 40 से अधिक याचिकाओं को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा की पीठ ने टिप्पणी की कि अतिक्रमणकारी सार्वजनिक भूमि पर कब्जा बनाए रखने का दावा नहीं कर सकते।
अदालत ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ताओं को दूसरी जगह बसाने की मांग करने का कोई निहित अधिकार नहीं है, क्योंकि अतिक्रमणकारियों का पूर्ण संवैधानिक अधिकार नहीं है। पुनर्वास का अधिकार पूरी तरह से मौजूदा नीति से उत्पन्न होता है और दूसरी जगह बसाने के लिए पात्रता का निर्धारण सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमणकारियों को हटाने से अलग प्रक्रिया है।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं में से किसी को भी जेजे क्लस्टर पर अनिश्चितकाल तक कब्जा बनाए रखने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है क्योंकि ये व्यापक जनहित के लिए हानिकारक है।
कुछ याचिकाकर्ताओं के पुनर्वास की अनुमति दी
अदालत ने कहा कि लगभग 1200 लोगों से जुड़ी याचिकाओं के समूह पर निर्णय सुनाते हुए पीठ ने कहा याचिकाकर्ता दिल्ली स्लम और जेजे पुनर्वास और स्थानांतरण नीति- 2015 के तहत पुनर्वास और स्थानांतरण के लिए आवश्यक न्यूनतम मानदंडों को पूरा नहीं कर सके। हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की मांग को ठुकराते हुए याचिकाएं खारिज कर दीं, जबकि कुछ याचिकाकर्ताओं के पुनर्वास की अनुमति दी और डीडीए को आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी के फ्लैट आवंटित करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ताओं ने डीडीए की ध्वस्तीकरण की गतिविधि को निलंबित करने व यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देने की मांग की थी। साथ ही दिल्ली दिल्ली शहरी आश्रित बोर्ड (डूसिब) को व्यापक सर्वेक्षण करने और 2015 की नीति के अनुसार उनका पुनर्वास करने का निर्देश देने की मांग की थी।

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