जाली प्रमाण पत्रों से बीमा क्लेम, अब दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार, पुलिस और MCD को दिया नोटिस
दिल्ली उच्च न्यायालय ने जाली मृत्यु प्रमाण पत्रों के आधार पर बीमा क्लेम लेने के मामले में दिल्ली सरकार एमसीडी और पुलिस से जवाब तलब किया है। अदालत ने हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है और पूछा है कि क्या मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए कोई वैधानिक तंत्र है। याचिकाकर्ता ने धोखाधड़ी की जांच और सख्त दिशा-निर्देशों की मांग की है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) सहित अन्य राज्यों के नगर निगमों की मिलीभगत से जाली मृत्यु प्रमाण-पत्रों के आधार पर बीमा क्लेम प्राप्त करने के मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने दिल्ली सरकार, एमसीडी और दिल्ली पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
अदालत ने आदेश दिया कि दिल्ली सरकार और एमसीडी याचिका के पैराग्राफ-वार कथनों का उत्तर हलफनामा में दें। साथ ही यह भी बताए कि मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए कोई वैधानिक तंत्र उपलब्ध है या नहीं।
मामले की सुनवाई 24 सितंबर तक के लिए स्थगित करते हुए अदालत ने सभी प्रतिवादियों को चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने इसके अलावा याचिकाकर्ता को प्रतिवादियों के जवाब पर दो सप्ताह में प्रत्युत्तर दाखिल करने का आदेश दिया।
नोएडा सेक्टर-दो निवासी याचिकाकर्ता व अधिवक्ता प्रवीण पाठक ने याचिका में कहा कि 18 जनवरी 2025 को संभल जिले के थाना राजपुरा में एक प्राथमिकी हुई, इसमें आरोप लगाया गया कि आरोपितों ने जाली मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर इंश्योरेंस का दावा प्राप्त किया था।
इसके बाद 27 फरवरी को हुई एक और प्राथमिकी में आरोपितों ने एक मुकेश के मृत्यु प्रमाण पत्र के नाम पर इंश्योरेंस दावा प्राप्त किया। याचिका में दिल्ली सरकार और एमसीडी के आयुक्त पर लापरवाही, प्रक्रियागत खामियों और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में प्रणालीगत विफलताओं का आरोप लगाया गया है। याचिका में कहा गया कि इसके कारण बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी वाले बीमा दावों को बढ़ावा मिला है।
याचिका में उदाहरण देते हुए कहा गया कि नवंबर 2022 में एक सूरज नाम के एक व्यक्ति की मौत हुई, लेकिन उनका मृत्यु प्रमाण पत्र जनवरी 2023 में ही जारी किया गया। इस बीच, उसके नाम पर 27 लाख की दो बीमा पालिसी धोखाधड़ी से सुरक्षित कर ली गईं और जल्दी से दावा कर लिया गया।
याचिका में कहा गया कि उत्तर प्रदेश पुलिस की अब तक जांच के अनुसार यह गिरोह एमसीडी के लेकर सात राज्यों में फैला है। इसके अलावा प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) के तहत जीवन बीमा पालिसियों और दावों की धोखाधड़ी से भी जुड़ा है।
याचिकाकर्ता ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक निष्पक्ष तय समयसीमा में जांच कराने का निर्देश देने की मांग की। याचिका में मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में सख्त दिशा-निर्देश और एक सत्यापन तंत्र लागू करने का निर्देश देने की मांग की।
याचिका में यह भी मांग की गई कि बीते तीन साल में जारी सभी मृत्यु प्रमाण पत्र का आडिट कराने का निर्देश दिया जाए। याची ने यह भी मांग की कि जाली एमसीडी मृत्यु प्रमाण पत्र का उपयोग करके संचालित हो रहे बीमा धोखाधड़ी सिंडिकेट की आपराधिक जांच शुरू करने का भी निर्देश दिया जाए।
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