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    IREO Group मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली हाई कोर्ट का झटका, दायर की गई हर याचिका पर लगाया जुर्माना

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 12:43 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने आईआरईओ ग्रुप मनी लाॅन्ड्रिंग मामले में ईडी की जांच को सही ठहराते हुए याचिकाकर्ता गुलशन बब्बर पर 1.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने पाया कि बब्बर ने जानबूझकर गलत तथ्य पेश किए और अदालत को गुमराह करने की कोशिश की। अदालत ने ईडी की जांच में निष्क्रियता के आरोपों को भी खारिज कर दिया और कहा कि ईडी उचित जांच कर रही है।

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    आईआरईओ समूह से जुड़े मामले में ईडी की जांच काे हाई कोर्ट ने सही ठहराया।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: IREO Group से जुड़े मनी लाॅन्ड्रिंग मामले में ईडी की जांच को सही ठहराते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता गुलशन बब्बर की विभिन्न याचिकाओं को खारिज कर दिया।

    गुलशन बब्बर पर 1.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जानबूझकर गलत तरीके तथ्यों को पेश किया।

    साथ ही घर का खरीदार होने और बिल्डर की ओर से ठगे जाने का झूठा बयान भी दिया। जबकि, याचिकाकर्ता ने यह स्वीकार किया है कि उसने आईआरईओ प्रोजेक्ट्स में कोई वित्तीय निवेश नहीं किया था। ये बयान गुमराह करने के लिए दिया गया।

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    अदालत को गुमराह करने के लिए दिए झूठे बयान

    पीठ ने कहा कि एक अधिवक्ता होने के नाते याची कानूनी प्रक्रियाओं से परिचित है, इसके बावजूद भी याचिकाकर्ता ने अदालत को गुमराह करने के लिए रिकार्ड के विपरीत झूठे बयान दिए।

    पीठ ने प्रति याचिका 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए खारिज कर दी। 1.25 लाख रुपये दिल्ली हाई कोर्ट विधिक सेवा समिति (डीएचसीएलएससी) को दो सप्ताह में जमा करने का आदेश दिया। पीठ ने साथ ही इसके एक सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता द्वारा अनुपालन संबंधी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया।

    अदालत ने कहा कि रिकार्ड पर पेश किए गए तथ्यों से पता चलता है कि ईडी घर खरीदारों के कहने पर जांच कर रहा थी और इसकी निगरानी पंचकूला के विशेष न्यायालय (पीएमएलए) द्वारा की जा रही है। याचिकाकर्ता ने घर खरीदारों की शिकायत पर ईडी द्वारा कोई निष्क्रियता का आरोप नहीं लगाया है।

    याचिकाकर्ता ईडी की दलीलों को गलत साबित नहीं कर सका

    ईडी ने रिकार्ड पर ऐसे तथ्य भी रखे हैं, जिससे पता चलता है कि अपराध की पहचान की गई। आय के लिए उचित कुर्की आदेश पहले ही जारी किए जा चुके हैं।

    पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता बैंकों से लिए गए ऋणों के गलत तरीके से डायवर्जन के आरोपों के संबंध में अधिकार क्षेत्र की कमी के कारण ईडी की दलीलोें को गलत नहीं साबित कर सका।

    ऐसे में ईडी की जांच में निष्क्रियता का मामला बनाने में विफल याचिकाकर्ता विफल रहे हैं। याचिका के अनुसार गुलशन बब्बर ने ईडी और सीबीआइ को एक रियल एस्टेट कंपनी द्वारा धन की हेराफेरी की जांच करने का निर्देश देने की मांग की थी।

    याचिका में ईडी पर कम संपत्ति जब्त करने था आरोप

    साथ ही आरोप लगाया था कि आईआरईओ ग्रुप के मनी लाॅन्ड्रिंग मामले में ईडी ने न तो उचित जांच की और न ही संपत्ति जब्त की।

    याचिका में तर्क दिया गया था कि ईडी ने अपराध की आय के रूप में 4,246 करोड़ रुपये की पहचान की थी, जबिक उसने केवल 1,317 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की।

    याचिका में कहा गया कि इसमें ईडी ने जानबूझकर दिल्ली में 149 एकड़ की भूमि, गुड़गांव की संपत्तियां और विदेशी निवेश जैसी उच्च मूल्य वाली संपत्तियां शामिल नहीं की गईं।