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भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में नजरबंद गौतम नवलखा को मिली राहत, हाउस अरेस्ट खत्म

दिल्ली हाई कोर्ट ने गौतम नवलखा की नजरबंदी खत्म करते हुए कहा कि उनकी हिरासत 24 घंटे को पार कर गई है और इसकी इजाजत नहीं है।

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 05:10 PM (IST)Updated: Mon, 01 Oct 2018 09:35 PM (IST)
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में नजरबंद गौतम नवलखा को मिली राहत, हाउस अरेस्ट खत्म
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में नजरबंद गौतम नवलखा को मिली राहत, हाउस अरेस्ट खत्म

नई दिल्ली [जेएनएन]। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में नजरबंद माअोवादी विचारक गौतम नवलखा की ट्रांजिट रिमांड संबंधी फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने नवलखा की नजरबंदी खत्म करते हुए कहा कि उनकी हिरासत 24 घंटे को पार कर गई है और इसकी इजाजत नहीं है। दिल्ली हाई कोर्ट ने नवलखा को राहत देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते उन्हें आगे के उपायों के लिए चार हफ्तों के अंदर उपयुक्त अदालत का रुख करने की छूट दी थी, जिसका उन्होंने उपयोग किया है। हाई कोर्ट ने निचली अदालत की ट्रांजिट रिमांड के आदेश को भी रद कर दिया। 

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इसके पहले साकेत कोर्ट ने पुणे पुलिस को नवलखा को साथ ले जाने की मंजूरी दे दी थी। हालांकि बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने स्टे लगा दिया था। बता दें कि, दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद आया है जिसमें नवलखा और चार अन्य लोगों को कोर्ट ने चार हफ्तों के लिए और नजरबंद रखने का आदेश दिया था।सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा के अलावा वामपंथी कार्यकर्ता वरवर राव, वरनन गोंजालविस अरुण फरेरा और ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज की नजरबंदी चार हफ्तों के लिए बढाई थी। 

भीमा कोरेगांव मामले में नजरबंद मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा का हाउस अरेस्ट खत्म

 28 अगस्त को किया था गिरफ्तार 
गौरतलब है कि नवलखा को दिल्ली में 28 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। अन्य चार माअोवादी विचारकों को देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ्तार किया गया था। शीर्ष न्यायालय ने 29 सितंबर को पांचों कार्यकर्ताओं को रिहा करने की एक याचिका खारिज करते हुए कहा था कि महज असहमति वाले विचारों या राजनीतिक विचारधारा में अंतर को लेकर गिरफ्तार किए जाने का यह मामला नहीं है। इन कार्यकर्ताओं को भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। 

शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि आरोपी और चार हफ्ते तक नजरबंद रहेंगे, जिस दौरान उन्हें उपयुक्त अदालत में कानूनी उपाय का सहारा लेने की आजादी है। उपयुक्त अदालत मामले के गुण दोष पर विचार कर सकती है।महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को हुए एलगार परिषद सम्मेलन के बाद दर्ज की गई एक प्राथमिकी के सिलसिले में 28 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। इस सम्मेलन के बाद राज्य के भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़की थी। 

जानें- कौन हैं गौतम नवलखा

दक्षिण दिल्ली के नेहरू विहार निवासी गौतम नवलखा सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने नागरिक अधिकार, मानवाधिकार और लोकतांत्रिक अधिकार के मुद्दों पर काम किया है। वर्तमान में नवलखा अंग्रेजी पत्रिका इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली (ईपीडब्ल्यू) में सलाहकार संपादक के तौर पर भी काम कर रहे हैं। नवलखा लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर) से जुड़े हैं।

नवलखा ने इंटरनेशनल पीपल्स ट्रिब्यूनल ऑन ह्यूमन राइट्स एंड जस्टिस इन कश्मीर के संयोजक भी तौर पर काम किया है। वह कश्मीर मुद्दे पर जनमत संग्रह का समर्थन कर चर्चा में रहे हैं और इसी वजह से मई 2011 में श्रीनगर एयरपोर्ट पर उन्हें रोक लिया गया था और प्रवेश से इनकार कर दिया गया था। कश्मीर की तरह ही छत्तीसगढ़ और झारखंड में भी सेना की कार्रवाई शुरू होने पर गौतम नवलखा माओवांदी आंदोलनों पर भी नजर रखने लगे थे।


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