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    एक्स को सहयोग पोर्टल का हिस्सा बनाने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने उठाया सवाल, केंद्र सरकार से 10 सितंबर तक मांगा जवाब

    Updated: Sat, 16 Aug 2025 10:25 PM (IST)

    दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या एक्स काॅर्प को मानव तस्करी जैसे मामलों में सहयोग पोर्टल का हिस्सा बनाया जाए। अदालत ने 10 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि पुलिस को इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म से जानकारी मिलने में देरी होती है। केंद्र ने बताया कि कई संस्थाएं पोर्टल से जुड़ी हैं।

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    हाईकोर्ट ने सहयोग पोर्टल पर एक्स काॅर्प को शामिल करने पर केंद्र से मांगा जवाब।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स काॅर्प (पूर्व में ट्विटर) को मानव तस्करी, बाल तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मामलों में सहयोग पोर्टल का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाना चाहिए।

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    इस सवाल के साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस मुद्दे पर अपना जवाब 10 सितंबर तक दाखिल करें।

    न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने कहा कि यूनियन ऑफ इंडिया अपने जवाब में इस विशेष मुद्दे के बारे में बताए कि क्या मानव तस्करी, बाल तस्करी, ड्रग तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मामलों में एक्स काॅर्प को बिना शर्त सहयोग पोर्टल का हिस्सा होना चाहिए।

    अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला एक बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका से जुड़ा है, जिसमें एक महिला ने अपने 19 वर्षीय बेटे को तलाशने की गुहार लगाई है। सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि पुलिस द्वारा एक्स से जानकारी मांगने और उससे जवाब मिलने में काफी देरी होती है।

    सहयोग पोर्टल गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (आईफोरसी) द्वारा संचालित है। इसका उद्देश्य आईटी एक्ट के तहत नोटिस भेजने और अवैध ऑनलाइन सामग्री को तुरंत हटाने या रोकने की प्रक्रिया को स्वचालित करना है।

    केंद्र की ओर से बताया गया कि अभी तक 64 इंटरमीडियरी और 1,100 से अधिक संस्थाएं, जिनमें फेसबुक, वॉट्सएप और माइक्रोसाफ्ट शामिल हैं, इस पोर्टल से जुड़ चुके हैं।

    एक्स काॅर्प ने खुद को कार्यवाहियों से अलग करने की मांग की है और कहा है कि उसने अधिकारियों से पूरा सहयोग किया है। कंपनी ने यह भी बताया कि सहयोग पोर्टल को चुनौती देने वाली उसकी याचिका कर्नाटक हाईकोर्ट में लंबित है।

    हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि वहां कोई रोक आदेश नहीं है, इसलिए इस मामले में एक्स काॅर्प को सुना जा सकता है।

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