दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला, दो बार यौन उत्पीड़न की शिकार नाबालिग को मिली गर्भपात की अनुमति
दिल्ली हाई कोर्ट ने यौन उत्पीड़न की शिकार नाबालिग को बड़ी राहत देते हुए 26 सप्ताह का गर्भ गिराने की इजाजत दे दी है। अदालत ने एम्स को गर्भपात का निर्देश दिया क्योंकि पीड़िता और उसकी मां ने मानसिक आघात की बात कही थी। दिवाली पर पहली बार यौन उत्पीड़न हुआ और दूसरी घटना के बाद गर्भावस्था का पता चला। पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दो बार यौन उत्पीड़न का शिकार हुई नाबालिग पीड़िता को बड़ी राहत देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को 26 सप्ताह का गर्भ समाप्त करने की अनुमति दे दी। न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चिकित्सा अधीक्षक को मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत एक जुलाई को पीड़िता के 26 सप्ताह से अधिक के गर्भ को समाप्त करने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि यह रिकॉर्ड में आया कि मेडिकल बोर्ड अधिक गर्भावधि उम्र के मद्देनजर गर्भपात की अनुमति देने के पक्ष में नहीं था क्योंकि यह लड़की के भविष्य के प्रजनन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। हालांकि, मेडिकल बोर्ड ने राय दी कि लड़की शारीरिक रूप से स्वस्थ थी।
उसकी मां ने गर्भावस्था को जारी न रखने पर जोर दिया
वहीं, पीड़िता व उसकी मां ने गर्भावस्था को जारी न रखने पर जोर दिया। उक्त तथ्यों को देखते हुए अदालत ने गर्भ समाप्त करने का आदेश पारित किया। 16 वर्षीय पीड़िता और उसकी मां ने गंभीर मानसिक आघात का हवाला देते हुए गर्भपात के लिए अपनी याचिका के साथ अदालत का रुख किया।
पीड़िता के गर्भ का समाप्त करने का आदेश पारित करते हुए हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट समेत कई निर्णयों को रिकार्ड पर लिया, जहां 27 सप्ताह से 33 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने का आदेश दिया गया था। पीठ ने कहा कि इस मामले में स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है। लड़की के साथ पहली बार दिवाली पर यौन उत्पीड़न किया गया था, लेकिन उसने इस बारे में किसी को नहीं बताया और मार्च में एक अन्य व्यक्ति ने फिर से उसका यौन उत्पीड़न किया।
गर्भ समाप्त करने की प्रक्रिया को करने असमर्थता व्यक्त की
सुनवाई के दाैरान चिकित्सकों ने एमटीपी अधिनियम के तहत प्रदान की गई वैधानिक पाबंदियों के कारण गर्भ समाप्त करने की प्रक्रिया को करने असमर्थता व्यक्त की। एमटीपी अधिनियम तहत सामान्य मामलों में ऐसी प्रक्रियाओं को 20 सप्ताह और दुष्कर्म पीड़ितों जैसी कुछ श्रेणियों में 24 सप्ताह तक सीमित किया गया था।
याचिका के अनुसार वर्ष 2024 में दिवाली के दौरान नाबालिग का एक व्यक्ति ने यौन उत्पीड़न किया था, लेकिन पीड़िता ने इस घटना के बारे में किसी को नहीं बताया। वहीं, दूसरी घटना मार्च में हुई थी, जब उसका किसी अन्य व्यक्ति ने यौन शोषण किया था और इसी घटना वह गर्भवती हो गई थी।
वह अपनी बहन के साथ डॉक्टर के पास गई
जब पीड़िता को गर्भधारण के बारे में तब पता चला तो वह अपनी बहन के साथ डॉक्टर के पास गई। इसके बाद परिवार के सदस्यों ने मामले में प्राथमिकी कराई होगी। जून में प्राथमिकी के समय गर्भावधि उम्र निर्धारित 24 सप्ताह की सीमा से अधिक थी। पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार किया था। हालांकि, इससे पहले यौन उत्पीड़न करने वाला आरोपित अब तक पकड़ा नहीं गया।
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