DU के कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी का गठन कब? कुलपति और मुख्यमंत्री से अपील
दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के गठन में देरी से शिक्षकों की नियुक्ति और बजट संबंधी निर्णय अटके हुए हैं। इंटैक और फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने विश्वविद्यालय प्रशासन और दिल्ली सरकार से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है। इन संगठनों ने जीबी में एससी एसटी और ओबीसी समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व देने की भी मांग की है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित कॉलेजों, जिनमें 12 पूर्णतः वित्तपोषित कॉलेज भी शामिल हैं, में लंबे समय से गवर्निंग बॉडी (जीबी) का गठन नहीं हुआ है। इस मुद्दे पर भारतीय राष्ट्रीय शिक्षक कांग्रेस (इंटैक) और फोरम ऑफ एकेडमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने विश्वविद्यालय प्रशासन और दिल्ली सरकार से तत्काल कदम उठाने की अपील की है।
डूटा कार्यकारिणी, अकादमिक परिषद और इंटैक की कार्यकारी परिषद के निर्वाचित सदस्यों ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति से 12 सितंबर को होने वाली कार्यकारी परिषद (ईसी) की बैठक में इन कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के गठन का एजेंडा शामिल करने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में गवर्निंग बॉडी के अभाव से गंभीर प्रशासनिक और शैक्षणिक समस्याएं पैदा हो गई हैं। शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की स्थायी नियुक्तियां रुकी हुई हैं, बजट और बुनियादी ढांचे से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले लंबित हैं और छात्रों की पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
इंटैक ने विश्वविद्यालय प्रशासन से तीन मुख्य मांगें की हैं। इनमें कार्यकारी परिषद की बैठक में जीबी गठन को मुख्य एजेंडा बनाना, गठन प्रक्रिया में तेजी लाकर भर्ती व अन्य लंबित प्रशासनिक कार्य शुरू करना और इस प्रक्रिया में कॉलेज प्राचार्यों, शिक्षक प्रतिनिधियों व दिल्ली सरकार को शामिल करके पारदर्शिता सुनिश्चित करना शामिल है।
इस मुद्दे पर फोरम ऑफ एकेडमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर मांग की है कि जीबी सदस्यों के नाम डीयू को भेजे जाएँ ताकि पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों में प्रबंध समितियों का गठन हो सके और लगभग एक हज़ार शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति का रास्ता साफ हो सके।
फोरम ने यह भी मांग की कि जीबी में एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों को आरक्षण के अनुपात में उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए और अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष के पदों पर भी उन्हें स्थान मिले। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित कॉलेजों में स्थानीय प्रतिनिधियों को प्राथमिकता देने की बात दोहराई गई।
फोरम ने विश्वविद्यालय प्रशासन से आग्रह किया कि जब तक दिल्ली सरकार नाम नहीं भेजती, तब तक पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों में नए जीबी का गठन न किया जाए। संगठन का कहना है कि जीबी का गठन न होने से प्रशासनिक शून्यता पैदा हो रही है, जिससे डीयू का गुणवत्तापूर्ण और किफायती शिक्षा का मिशन कमजोर हो रहा है।
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