Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    अब इस मामले में फंसेगी AAP, कोरोना काल में लुटाए लाखों रुपये, भाजपा सरकार कराएगी जांच

    Updated: Wed, 02 Apr 2025 09:06 AM (IST)

    कोरोना काल में जब दिल्लीवासी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे तब दिल्ली सरकार ने सांस्कृतिक आयोजनों के लिए सलाहकारों की नियुक्ति कर दी। सिन्धु मिश्रा मोहन कुमार एमपी और मुस्तहसन अहमद जैसे सलाहकारों को बिना किसी काम के महीनों तक वेतन दिया गया। अब भाजपा सरकार इस मामले की जांच कराएगी। आगे विस्तार से जानिए पूरा मामला।

    Hero Image
    कोरोना काल में आप सरकार ने वेतन के रूप में लुटाए लाखों रुपये। फाइल फोटो

    वी के शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली में जब वर्ष 2020 में कोरोना महामारी चल रही थी तो लोग अपनी और अपनों की जान बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे, तब दिल्ली की आप सरकार में सांस्कृतिक आयोजनों के लिए सलाहकारों की नियुक्ति कर दी गई थी और इन्हें कई-कई माह तक वेतन दिया जाता रहा, जबकि उस समय इनका कोई काम नहीं था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तीन सलाहकारों की नियुक्ति का मामला

    यहां तक कि इनका कोविड से कोई लेना-देना भी नहीं था। दिल्ली सरकार के साहित्य कला परिषद और उर्दू अकादमी में ऐसे तीन सलाहकारों की नियुक्ति का मामला सामने आने के बाद भाजपा सरकार इसकी जांच कराएगी। साथ ही अन्य विभागों से भी ऐसे मामलों की जानकारी मांगी गई है। सरकार को आशंका है कि अन्य विभागों में भी इस तरीके के मामले सामने आ सकते हैं।

    स्थिति पर गौर करें तो मार्च 2020 में कोरोना महामारी को लेकर लॉकडाउन लग गया था। स्वास्थ्य विभाग को छोड़कर सभी सरकारी विभागों के कार्यालय बंद थे। उस समय दिल्ली में लोग अपनी और अपनों की जान बचाने के लिए सरकार की ओर मदद भरी नजर से देख रहे थे।

    वेतन के रूप में लाखों रुपये लुटाए

    वह समय ऐसा था, जब सांस्कृतिक आयोजन नहीं हो रहे थे। मगर साहित्य कला परिषद के लिए सिन्धु मिश्रा सांस्कृतिक आयोजनों को लेकर सरकार को सलाह दे रही थीं। क्योंकि इनकी नियुक्ति मुख्य रूप से इसी कार्य के लिए हुई थी। लॉकडाउन लगा था और ये सलाहकार अगस्त 2020 तक अपनी सलाह देती रहीं। इन्हें वेतन के रूप में कुल तीन लाख, 47 हजार, 337 रुपये दे दिए गए।

        इस मामले से जुड़े कुछ खास प्वाइंट्स

    • कोरोना काल में आप सरकार ने सांस्कृतिक आयोजनों के लिए की थी सलाहकारों की नियुक्ति
    • कोरोना महामारी में क्यों हुई नियुक्ति और क्यों दिया गया वेतन, होगी जांच
    • इन्हें कई-कई माह तक वेतन दिया जाता रहा, जबकि उस समय इनका कोई काम नहीं था
    • दिल्ली सरकार के साहित्य कला परिषद और उर्दू अकादमी में हुई थीं सलाहकारों की नियुक्ति
    • मामला सामने आने के बाद भाजपा सरकार इसकी जांच कराएगी

    इसी तरह इसी विभाग में मोहन कुमार एमपी के नाम से एक दूसरे सलाहकार भी लगाए गए। इनके लिए भी मिश्रा जैसे ही सवाल हैं कि परिषद के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के आर.आर. (रिक्रूटमेंट रूल्स) को संशोधित करने के बारे में उस समय कौन सोच रहा था, सभी कार्यालय भी बंद थे।

    मुस्तहसन अहमद को भी सलाहकार के तौर पर लगाया गया

    मगर इन्हें सलाह देने के लिए लगाया गया था और ये कुल मिलाकर जनवरी 2020 से लेकर दिसंबर 2020 तक सलाह देते रहे। इन्हें सरकारी खजाने से वेतन के रूप में कुल छह लाख 11 हजार 339 रुपये दे दिए गए। इसी तरह कोरोना काल में उर्दू अकादमी में एक अन्य मुस्तहसन अहमद को सलाहकार के तौर पर लगाया गया।

    यह भी पढ़ें- कोरोना में अधिक फीस लेने वाले यूपी के निजी स्कूलों की जांच के लिए बनी समिति, कोर्ट के आदेश को चुनौती दी

    इन्हें अगस्त 2020 से लेकर मार्च 2021 तक करीब आठ माह तक तीन लाख 47 हजार, 728 रुपये वेतन के रूप में दे दिए गए। यानी कुल 17 लाख रुपये इन सलाहकारों को वेतन के रूप में दे दिए गए।

    यह भी पढ़ें- अब मोदी सरकार की 'वैक्सीन कूटनीति' के फैन हुए शशि थरूर, बोले- भारत ने अपनी सॉफ्ट पावर को बढ़ाया