DMC के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर गिरी गाज, दिल्ली सरकार ने किया निलंबित; पढ़ें पूरा मामला?
दिल्ली मेडिकल काउंसिल (DMC) के अध्यक्ष डॉ. अरुण गुप्ता और उपाध्यक्ष डॉ. नरेश चावला को दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने निलंबित कर दिया है। उन पर रजि ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) के अध्यक्ष डॉ. अरुण गुप्ता और उपाध्यक्ष डॉ. नरेश चावला को दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने निलंबित कर दिया है। दोनो पर रजिस्ट्रार डॉ. गिरीश त्यागी को गलत तरीके से सेवा विस्तार देने और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे।
डॉ. गिरीश से सेवा विस्तार के दौरान किए गए भुगतानों को वसूलने के आदेश भी दिए गए हैं। कार्रवाई उत्तर पश्चिमी दिल्ली के सांसद द्वारा स्वास्थ्य विभाग को भेजी गई शिकायत के आधार पर की गई है।

कितना बढ़ाया गया था डीएमसी के रजिस्ट्रार का कार्यकाल?
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जो नोटिस जारी किया गया है, उसमें तीन प्रमुख आरोपों का उल्लेख करते हुए दोनों निलंबित अधिकारियों को तीन दिनों के भीतर अपना जवाब देने के कहा गया है। निलंबन के नोटिस के मुताबिक, डीएमसी के रजिस्ट्रार डॉ. गिरीश त्यागी के कार्यकाल को अवैध रूप से 60 से 65 वर्ष तक बढ़ाया गया था।
आदेश पर क्यों उठे सवाल?
आरोप है कि यह विस्तार डीएमसी अधिनियम के नियम 36 और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के मौलिक नियम 56 का उल्लंघन कर किया गया था। 2019 में डीएमसी अध्यक्ष द्वारा बिना सरकारी मंजूरी के जारी किए गए इस आदेश की वैधता पर सवाल उठाए गए हैं।
सरकार ने दिए वसूली करने के आदेश
सरकार ने यह भी आरोप लगाया है कि डॉ. त्यागी को सेवानिवृत्ति के बाद भी अवैध रूप से वेतन दिया गया, जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ। सरकार ने इसकी वसूली करने के आदेश भी दिए हैं। डीएमसी ने सरकार और परिषद की मंजूरी के बिना डिप्टी रजिस्ट्रार के पद के लिए अवैध भर्ती प्रक्रिया शुरू की।
कैसे हुई थी भर्ती प्रक्रिया?
इस भर्ती प्रक्रिया के तहत 24-25 फरवरी 2025 को साक्षात्कार तय किए गए थे, जिन्हें अब रद करने का आदेश दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने डीएमसी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष से इन आरोपों पर विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है। यदि तीन दिनों के भीतर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है, तो उनके खिलाफ और कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
एम्स की नियुक्ति समितियों में हर वर्ग के फैकल्टी होंगे शामिल
एम्स की नियुक्ति समितियों में अब मनमाने तौर पर सदस्य नियुक्त नहीं नहीं होंगे। बल्कि एम्स की नियुक्ति समितियों में अब अनुसूचित जाति (एससी) , अनुसूचित जनजाति जाति (एसटी), ओबीसी, अल्पसंख्यक और एक महिला सदस्य को भी शामिल कर हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देना करना अनिवार्य होगा। इस बाबत एम्स ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।