Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Delhi Service Act: सेवा कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार, केंद्र से चार सप्ताह में मांगा जवाब

    By Jagran NewsEdited By: Geetarjun
    Updated: Fri, 25 Aug 2023 11:38 AM (IST)

    केंद्र सरकार के दिल्ली सेवा (विधेयक) कानून के खिलाफ आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। दिल्ली सरकार की याचिका पर कोर्ट ने उस याचिका को संशोधित करने की अनुमति दे दी है जिसमें केंद्र के नए NCTD (संशोधन) कानून 2023 को चुनौती दी है। दिल्ली सेवा अधिनियम संसद के दोनों सदनों से पास हो चुका है और राष्ट्रपति से भी इसकी मंजूरी मिल गई है।

    Hero Image
    दिल्ली सेवा अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार।

    नई दिल्ली, पीटीआई। केंद्र सरकार के दिल्ली सेवा (विधेयक) कानून के खिलाफ आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। दिल्ली सरकार की याचिका पर कोर्ट ने उस याचिका को संशोधित करने की अनुमति दे दी है, जिसमें उसने 19 मई के सेवा अध्यादेश की वैधता को चुनौती दी थी। सेवा अध्यादेश अब कानून बन चुका है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    केंद्र के नए NCTD (संशोधन) कानून, 2023 संसद के दोनों सदनों से पास हो चुका है और राष्ट्रपति से भी इसकी मंजूरी मिल गई है। यह कानून केंद्र सरकार को दिल्ली सरकार में नौकरशाहों पर नियंत्रण देता है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

    न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर ध्यान दिया कि पहले चुनौती अध्यादेश के खिलाफ थी, जो अब संसद से मंजूरी के बाद कानून बन गया है।

    केंद्र सरकार ने नहीं जताई आपत्ति

    मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका में संशोधन की अनुमति दे दी, क्योंकि केंद्र ने कहा कि उसे इस पर कोई आपत्ति नहीं है। पीठ ने संशोधित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को चार सप्ताह का समय दिया।

    दिल्ली सेवा कानून के बारे में

    • दिल्ली सरकार में अधिकारियों के तबादला और नियुक्ति राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) करेगा। इसके चेयरमैन मुख्यमंत्री हैं और दो अन्य सदस्य मुख्यसचिव और गृह सचिव हैं।यानी मुख्यमंत्री अल्पमत में हैं, वे अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकेंगे।
    • दिल्ली विधानसभा द्वारा अधिनियमित कानून द्वारा बनाए गए कियी बोर्ड या आयोग के लिए नियुक्ति के मामले में एनसीसीएसए नामों के एक पैनल की सिफारिश उपराज्यपाल को करेगा। उपराज्यपाल अनुशंसित नामों के पैनल के आधार पर नियुक्तियां करेंगे।
    • अब मुख्य सचिव ये तय करेंगे कि कैबिनेट का निर्णय सही है या गलत।
    • इसी तरह अगर सचिव को लगता है कि मंत्री का आदेश कानूनी रूप से गलत है तो वो मानने से इंकार कर सकता है।
    • सतर्कता सचिव अध्यादेश के आने के बाद चुनी हुई सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं हैं वे एलजी के प्रति बनाए गए प्राधिकरण के तहत ही जवाबदेह हैं।
    • अब अगर मुख्यसचिव को यह लगेगा कि कैबिनेट का निर्णय गैर-कानूनी है तो वो उसे उपराज्यपाल के पास भेजेंगे।इसमें उपराज्यपाल को यह शक्ति दी गई है कि वो कैबिनेट के किसी भी निर्णय को पलट सकते हैं।
    • दिल्ली में जो भी अधिकारी कार्यरत होंगे, उन पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार का कंट्रोल खत्म हो गया है, ये शक्तियां एलजी के जरिए केंद्र के पास चली गई हैं।