Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Delhi: पंचतत्व में विलीन हुए पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण, पूर्व न्यायाधीशों ने दी श्रद्धांजलि

    देश के वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में हिंदू रीति रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें श्रद्धांजलि देने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशके साथ-साथ हाई कोर्ट के अधिवक्ता भी पहुंचे।

    By shivangi chandravanshiEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Wed, 01 Feb 2023 10:32 PM (IST)
    Hero Image
    देश के वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गए।

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। देश के वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में हिंदू रीति रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें श्रद्धांजलि देने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, भारत सरकार के पूर्व अटार्नी जनरल और कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ-साथ हाईकोर्ट के अधिवक्ता भी पहुंचे। उनके दोनों बेटे प्रशांत भूषण और जयंत भूषण ने पिता को मुखाग्नि दी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बड़े नेता नहीं हुए शामिल

    हालांकि, बजट सत्र के चलते उनके अंतिम संस्कार कार्यक्रम में कोई भी बड़ा नेता शामिल नहीं हो सका। वह आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। स्वजन के अनुसार शांति भूषण पिछले एक सालों से व्हीलचेयर पर थे। हाल के दिनों में उनकी तबीयत कुछ ज्यादा बिगड़ गई थी।

    गत मंगलवार को नोएडा स्थित अपने आवास पर उन्होंने 97 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण को श्रद्धाजंलि देने के लिए भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, भारत सरकार के पूर्व अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी समेत कई दिग्गज लोग पहुंचे। हालांकि न्यायाधीश और अधिवक्ताओं की अपेक्षा राजनीतिक जमघट न के बराबर रहा।

    कानून मंत्री की निभाई थी जिम्मेदारी 

    बता दें कि अपने समय के वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण वर्ष 1977 से 1979 तक मोरारजी देसाई कैबिनेट में कानून मंत्री रहे। ऐतिहासिक राजनारायण बनाम इंदिरा नेहरू गांधी मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जून 1975 के अपने फैसले में इंदिरा गांधी को चुनाव लड़ने से छह साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था।