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    दिल्ली में पानी उतरा मुसीबतें बढ़ीं: घर में मच्छर और कीचड़ से परेशान लोग, किराये पर रहने को मजबूर

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 06:06 PM (IST)

    यमुना बाजार में बाढ़ के बाद संकट गहरा गया है। बच्चों की पढ़ाई बाधित है घरों में कीचड़ और मच्छरों का प्रकोप है। सफाई के लिए लोग खुद पंप किराए पर ले रहे हैं। बिजली न होने से रात में सोने के लिए कमरे किराए पर लेने पड़ रहे हैं। प्रशासन से मदद न मिलने से लोगों में निराशा है और स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बढ़ गया है।

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    यमुना बाजार में बाढ़ का कहर जीवन अस्त-व्यस्त, मदद का इंतजार

    लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। यमुना बाजार में आई बाढ़ का पानी तो कम हो गया है, लेकिन उसके बाद उत्पन्न संकट ने स्थानीय लोगों की जिंदगी को अस्त-व्यस्त कर दिया है।

    बाढ़ से पहले जहां बच्चे परीक्षा की तैयारी में जुटे थे, वहीं अब उनका अध्ययन पूरी तरह प्रभावित हो गया है। घरों में जमा कीचड़, मच्छरों का प्रकोप, खराब हुई किताबें और भोजन की समस्या ने परिवारों को परेशान कर दिया है।

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    स्कूल तो गुरुवार से खुल चुके हैं, लेकिन यमुना बाजार के अधिकांश बच्चों की पढ़ाई अभी भी घरों में ही अटकी हुई है।

    पढ़ाई में रुकावट, किताबें और कपड़े बर्बाद

    बाढ़ से पहले बच्चे ट्यूशन और स्कूल में नियमित रूप से पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन बाढ़ आने के बाद उनके पास न तो स्कूल बैग बचे हैं, न ही किताबें और कपड़े।

    बच्चों के माता-पिता का कहना है कि ऐसी हालत में उन्हें स्कूल भेजना संभव नहीं है। वे घर पर ही बच्चों को पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, बावजूद इसके मच्छरों के काटने और गंदगी की वजह से बच्चों का ध्यान भटक रहा है।

    यमुना बाजार के नजदीक एक स्कूल है, जहां करीब 100 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। बाढ़ के दौरान स्कूल प्रशासन ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए छुट्टी घोषित कर दी थी। गुरुवार से स्कूल फिर से शुरू हुए हैं, लेकिन बच्चों के अभिभावक उन्हें स्कूल भेजने से हिचक रहे हैं।

    दो हजार रुपये पंप का प्रतिदिन किराया देकर कर रहे घर व घाट की साफ सफाई

    यमुना बाजार में कीचड़ में मच्छरों का पनपना शुरू हो गया है, जिससे यहां की लगभग 2 हजार से अधिक की आबादी मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। सफाई के लिए प्रशासन की तरफ से कोई ठोस मदद नहीं मिल रही। लोग स्वयं पंप किराए पर लेकर घर और घाट साफ कर रहे हैं। प्रतिदिन दो हजार रुपये देकर पंप मंगाए जा रहे हैं ताकि कीचड़ हटाया जा सके।

    रात में सोने के लिए 200 रुपये किराया दे रहे लोग

    यमुना बाजार में बिजली की आपूर्ति बहाल नहीं हुई है। लोग रात में सोने के लिए मजबूरन किराए के कमरे ले रहे हैं।

    कई परिवारों ने 200 रुपये प्रतिदिन देकर अपने घरों से थोड़ी ही दूर कमरे किराए पर लिए हैं ताकि महिलाएं और बच्चे सुरक्षित सो सकें।

    बाकी सदस्य घरों की रखवाली के लिए बाहर सोते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की तरफ से न तो मेडिकल सुविधा दी जा रही है और न ही सफाई में मदद।

    एमसीडी और बिजली विभाग की तरफ से कोई प्रयास नहीं किया गया। लोगों ने विधायक से राहत की उम्मीद जताई थी, लेकिन अब तक कोई सहायता नहीं मिली। यमुना बाजार में बाढ़ के बाद की स्थिति एक गंभीर संकट का संकेत दे रही है।

    शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और रोज़गार हर क्षेत्र में प्रभाव स्पष्ट दिखाई दे रहा है। स्थानीय लोग अपने खर्चे पर राहत कार्य कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की उदासीनता से संकट और गहराता जा रहा है।

    बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो गई है। बिजली नहीं है, मच्छरों का आतंक है और हमें मजबूरन बच्चों को थोड़ी देर के लिए दूसरी जगह पढ़ाई के लिए भेजना पड़ता है।

    - माया, बाढ़ पीड़ित यमुना बाजार

    हमारे पास बच्चों के कपड़े और किताबें नहीं हैं। जब तक घर की स्थिति सामान्य नहीं होती, हम उन्हें स्कूल नहीं भेज सकते।- शशि, बाढ़ पीड़ित , यमुना बाजार

    सफाई के लिए प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली। स्थानीय विधायक से मदद मांगी गई लेकिन कोई राहत नहीं दी। हम खुद 2 हजार रूपये पंप का किराए पर लाकर घाटों की गंदगी साफ कर रहे है।

    - मुकेश, बाढ़ पीड़ित, यमुना बाजार

    प्रशासन और विधायक दोनों से मदद की मांग की गई है, लेकिन अभी तक कोई राहत नहीं मिली। जल्द ही बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।- गोपाल झा, स्थानीय आरडब्ल्यूए, सचिव