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    Delhi Election Result 2025: दिल्ली में खिला 'कमल', इन 7 फैक्टर्स की वजह से BJP ने 27 साल बाद किया राजधानी पर कब्जा

    Updated: Sat, 08 Feb 2025 11:58 AM (IST)

    Delhi Vidhan Sabha chunav 2025 दिल्ली विधानसभा की सभी 70 सीटों पर की मतगणना जारी है। अब तक के रूझानों में 27 साल बाद भाजपा की सरकार बनती दिख रही है। ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक शाम पांच बजे तक के रुझानों में भाजपा 48 सीटों पर और आप 22 सीटों पर आगे चल रही है। आइए जानते हैं कि भाजपा किन मुद्दों की वजह से जीती।

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    Delhi Chunav Result 2025: दिल्ली की जनता ने बीजेपी को क्यों दिया मौका। फोटो- जागरण ग्राफिक्स

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Chunav Result 2025) की सभी 70 सीटों के लिए शनिवार सुबह आठ बजे से मतों की गिनती जारी है। इलेक्शन कमीशन की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, शाम पांच बजे तक के रुझानों में 48 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बढ़त बनाए हुए हैं।

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    वहीं, 22 विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी (आप) आगे चल रही है। हालांकि ये फाइनल नतीजे नहीं हैं। दिल्ली में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 36 साटों का है।

    अब तक भाजपा का 27 वर्ष का वनवास खत्म होता दिख रहा है। वहीं सत्तारुढ़ दल आम आदमी पार्टी बहुमत तक नहीं पहुंचती दिख रही है। मुख्यमंत्री आतिशी सहित आम आदमी पार्टी के कई बड़े चेहरे अपनी सीट पर पीछे चल रहे हैं। आइए भाजपा की जीत के बड़े कारणों पर एक एक नजर डालते हैं...

    बीजेपी के पक्ष में रहे ये फैक्टर

    1. मोदी की गारंटी- जारी रहेंगी योजनाएं

    2. मोदी आपदा वाला वार- नारा - आपदा जाएगी, बीजेगी आएगी

    3. ब्रांड मोदी पर भरोसा- डबल इंजन सरकार से बदलेगी तस्वीर

    4. नैरेटिव - कट्टर ईमानदार कट्टर बेइमान - आलीशान बंगला, शराब घोटाला, भ्रष्टाचार वाला प्रहार

    5. चुनावी घोषणा पत्र नहीं सकल्प पत्र- सभी वायदों को पूरा करने की गारंटी

    6. बीजेपी का माइक्रो मैनेजमेंट - बूथ स्तर पर प्लानिंग- कार्यकर्ताओं से पीएम का संवाद

    7. यमुना सफाई को बनाया मुद्दा

    चुनावी रैली के दौरान गृह मंत्री अमित शाह। फाइल फोटो

    Reasons behind BJP victory: बीजेपी की जीत के बड़े कारण

    • बूथ प्रबंधन- प्रधानमंत्री का संवाद, त्रिदेव, बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सत्यापन, झुग्गी विस्तारक योजना, अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्र, विभिन्न राज्यों जैसे दक्षिण भारत, बंगाल...
    • प्रधानमंत्री की चार रैली: दिल्ली को विश्व स्तरीय बनाने और इसके लिए खुद दिल्ली को समय देने का विश्वास। एक बार सेवा का मौका देने की अपील। पहली रैली में ही दिल्ली सरकार की जनकल्याण की योजनाएं लागू रखने और इससे भ्रष्टाचार दूर करने की घोषणा। प्रत्येक रैली में इसे दोहराना जिससे लोगों में विश्वास उत्पन्न।
    • झुग्गी बस्तियों का मामला, घर देने का विश्वास।
    • इसके साथ ही बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं से संवाद और छात्रों से संवाद। पहली बार मोदी ने दिल्ली को इतना समय दिया।
    • संकल्प पत्र: महिलाओं, युवाओं, ऑटो, कर्मचारियों, गिग वर्कर
    • यमुना में जहर: केजरीवाल के हरियाणा पर आरोप पर भाजपा ने आक्रामक तरह से पलटवार किया। प्रधानमंत्री, अमित शाह के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री ने इसे प्रत्येक चुनावी मंच पर उठाकर अरविंद केजरीवाल को घेरा और यमुना की बदहाली के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराने में सफल रहे। पानी और दूषित पानी की समस्या।
    • मध्य वर्ग: 12 लाख आयकर छूट, आठवां वेतन आयोग गठन।
    • भाजपा मध्य वर्ग को साधने के साथ ही गरीबों को अपने साथ जोड़ने और महिलाओं को आप से अलग कर अपने साथ जोड़ने में सफल। युवाओं का भी मिला साथ। व्यापारी भी भाजपा के साथ।
    • पूर्वांचली: भाजपा ने पूर्वांचल के लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ने में सफल, आप पर पूर्वांचलियों के अपमान, छठ पूजा, करोना, प्रधानमंत्री से लेकर अन्य नेताओं ने पूर्वांचलियों का मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री ने कहा पूर्वांचल ने उन्हें सांसद और प्रधानमंत्री बनाया। बजट में बिहार के लिए घोषणाओं को गिनाया।
    • ध्रुवीकरण से परहेज: पिछली बार से सबक लेते हुए भाजपा नेता इस तरह के बयान से बचते रहे जिससे कि मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण हो। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कटोगे तो बटोगे की जगह उत्तर प्रदेश के विकास का माडल रखा।
    • पार्टी ने बंगलादेश रोहिंग्या घुसपैठियों का मुद्दा तो उठाया लेकिन मुस्लिमों की भावनाओं को उभारने वाला बयान नहीं दिए। इससे मुस्लिम मतों का आप, कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी के बीच बंटा।
    • केजरीवाल और आप पर भ्रष्टाचार का आरोप। शराब नीति एक पर एक बोतल फ्री और शीश महल।
    • बीएलओ 2: बूथ पर मतदाताओं की पहचान, फर्जी वोट कटवाने, वैध वोटर जुड़वाने का काम किया। भाजपा नेताओं ने फर्जी वोटरों का मुद्दा उठाया
    • कांग्रेस: कई सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों के मजबूती से चुनाव लड़ने से भाजपा को लाभ।