Delhi Election: क्या 'मुस्तफाबाद' कहलाएगा शिवपुरी? वोटिंग से पहले नाम पर छिड़ी सियासत; मुकाबला भी हुआ दिलचस्प
Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025 राजधानी दिल्ली में पांच फरवरी को चुनाव होने हैं जबकि आठ फरवरी को चुनाव का परिणाम आएगा। वहीं चुनाव से पहले मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र इस दिनों मुस्तफाबाद नाम को लेकर सियासत छिड़ी हुई है। कोई मुस्तफाबाद नाम को बदलने की बात कर रहा है तो कोई कह रहा है कि हम किसी भी सूरत में बदलने नहीं देंगे। आगे विस्तार से पढ़िए पूरी खबर।

शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली। विधानसभा चुनाव (Delhi Election 2025) में दिल्ली डूब चुकी है। पांच फरवरी को मतदान हैं। राजनीतिक पार्टियों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र में "मुस्तफाबाद' नाम को लेकर सियासत छिड़ी हुई है।
भाजपा दावा कर रही है कि सत्ता में आते ही सबसे पहले मुस्तफाबाद का नाम बदलकर शिवपुरी या फिर अन्य किसी हिंदू स्थान के नाम पर रखा जाएगा। वहीं, आप व कांग्रेस दावा कर रही है कि वह किसी भी सूरत में नाम नहीं बदलने देंगे। जनता नजरें गढ़ाए हुए कि आखिर किसका दावा सच साबित होगा।
मुस्तफाबाद सीट मुस्लिम बहुल
नेताओं ने माहौल ऐसा बना दिया है कि क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे गायब करके चुनाव मुस्तफाबाद नाम पर ले आएं हैं। भाजपा की यहां हो रही छोटी व बड़ी जनसभाओं में एक बात दोहराई जा रही है कि मुस्तफाबाद नाम मुस्लिम है। इस नाम को बदलकर हिंदू नाम पर विधानसभा क्षेत्र का नाम किया जाएगा। मुस्तफाबाद सीट मुस्लिम बहुल है।
AIMIM ने दंगे के आरोपित ताहिर हुसैन पर दांव खेला
भाजपा अपने पेठ वर्ग को साधने में लगी हुई है। तीन बड़ी पार्टियों की बातें करें तो उन्होंने मुस्लिमों पर आप ने आदिल खान, कांग्रेस ने अली महदी व ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम ने यहां दंगे के आरोपित ताहिर हुसैन पर दांव खेला है।
भाजपा ने मोहन सिंह बिष्ट को मैदान में उतारा
वहीं, भाजपा ने पहाड़ी चेहरा मोहन सिंह बिष्ट को मैदान में उतारा है। मुस्लिम मतदाताओं के बीच से स्थानीय मुद्दे गायब हैं। यहां होने वाली सभाएं वर्ष 2020 में हुए दंगे, निजामुद्दीन मरकज, तब्लीगी जमात पर पाबंदी लगाने का मामले के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं।
मरकज के मुद्दे को खूब हवा दे रहे
राजनीति से जुड़े नेताओं का कहना है कि एआइएमआइएम की वजह से इस बार मुस्तफाबाद विधानसभा का चुनाव दिलचस्प होगा। इस पार्टी का प्रत्याशी भले ही जेल में बंद है, लेकिन पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता दंगे व मरकज के मुद्दे को खूब हवा दे रहे हैं।
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भाजपा भी उन मुद्दों को हाथों हाथ ले रही है। तीन बड़े मुस्लिम चेहरे चुनावी मैदान में उतरे हुए हैं, उससे यह भी लगा रहा है इस बार मुस्लिम वोट यहां बटेगा।
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