Bus Accident: DTC बसों में नहीं हैं दिल्ली परिवहन के चालक, इलेक्ट्रिक बसों के निजी कंपनियों के ड्राइवरों पर उठ रहे सवाल
डीटीसी में यह पहली बार है कि जो बसें डीटीसी के नाम से चल रही हैं उन बसों पर डीटीसी के चालक नहीं हैं। इससे पहले भले ही डीटीसी ने अनुबंध पर चालक लगाए हुए हैं मगर चालकों की जिम्मेदारी डीटीसी के पास ही थी। मगर इलेक्ट्रिक बसों के लिए चालक उन कंपनियों के हैं जो कंपनियां इन बसों को चला रही हैं।

वीके शुक्ला, नई दिल्ली। डीटीसी में यह पहली बार है कि जो बसें डीटीसी के नाम से चल रही हैं उन बसों पर डीटीसी के चालक नहीं हैं। इससे पहले भले ही डीटीसी ने अनुबंध पर चालक लगाए हुए हैं, मगर चालकों की जिम्मेदारी डीटीसी के पास ही थी। मगर इलेक्ट्रिक बसों के लिए चालक उन कंपनियों के हैं, जो कंपनियां इन बसों को चला रही हैं।
डीटीसी कर्मचारी यूनियन की मानें तो कंपनियों में चालक की नियुक्ति डीटीसी के पैटर्न पर नहीं होती है। निजी कंपनियों में चालक की नौकरी पाना डीटीसी में नौकरी पाने से आसान है। उधर डीटीसी की प्रबंध निदेशक शिल्पा शिंदे ने इस बात का खंडन किया है कि कंपनियों के पास प्रशिक्षित चालक नहीं हैं।
उन्होंने कहा के घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं और रिपोर्ट मांगी है। मगर इस तरह कहना उचित नहीं है कि कंपनियों के पास प्रशिक्ष्रित चालक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्तर की जांच में बात सामने आई है कि चालक अचानक बेहोश हो गया, जिस पर परिचालक ने भाग कर आपातकालीन ब्रेक लगाए। मगर तब तक दुर्घटना हो चुकी थी।
डीटीसी में इस समय करीब 600 इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं इस स्कीम के तहत अभी 900 बसें और आनी हैं। 1500 में से बची हुईं इन बसों के वैसे इसी माह तक सड़कों पर उतार देने का लक्ष्य था, मगर ये बसें अब मार्च तक सड़कों पर आ जाएंगी। इन बसों को पिछले कई साल से सड़कों पर उतार देने की तैयारी थी जो अब आई हैं।
दिल्ली परिवहन मजदूर संघ के महामंत्री।विजेंद्र सिंह ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पूर्व में चल रहे ब्लू लाइन और रेड लाइन की बसों द्वारा दिल्ली में मचाए गए आतंक से कोई सीख नहीं ली और पूरी तरह आज सार्वजनिक परिवहन सेवा को निजी क्लस्टर कंपनियों के हाथों में सौंप दिया है जो कि आज दिल्ली की आम जनता के लिए जनता के लिए घातक होती जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक बसों का संचालन कर रहीं कंपनियों के पास डीटीसी की तरह प्रतिशित चालक नहीं हैं। डीटीसी में चालक की नियुक्ति के लिए पूरी तरह मेडिकल बोर्ड बना है। बोर्ड अगर फेल कर देता है तो चालक को नौकरी नहीं मिल सकती है।
उन्होंने दावा किया कि निजी कंपनियों के पास डीटीसी जैसी व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से डीटीसी की छवि धूमिल हो रही है। डीटीसी के एक कर्मचारी ने बताया कि निजी कंपनियों के चालकों के ऊपर किलोमीटर पूरे करने का दबाव है बिना ओके ड्यूटी करे गाड़ी डिपो में जा ही नहीं सकती है।
चाहें टाइम कितना भी लेट हो जाए, अगर ड्यूटी बिना ओके हुए डिपो में आई तो 5000 का जुर्माना ड्राइवर कंडक्टर के ऊपर लगता है। वहीं परिवहन विशेषज्ञ एसपी सिंह ने कहा कि बस की दुर्घटना वाले वीडियो से पता चलता है कि ईवी बस तेजी से चल रही थी और सही समय पर ब्रेक नहीं लगाए गए, जिसके परिणामस्वरूप कार पीछे से टकरा गई।
कार ने बीच सड़क पर चल रहे ई-रिक्शा को टक्कर मार दी। कार से टकराने के बाद बस ने सबसे बाईं लेन पर खड़े दोपहिया वाहनों को टक्कर मार दी, ये वाहन बस लेन में खड़े थे। उन्होंने कहा कि वीडियो देखने के बाद मेरी चिंता यह है मुख्य सड़कों पर ई-रिक्शा चलाने के लिए सही लेन कौन सी है? ऐर क्या बसों के लिए बनी लेन पर दोपहिया वाहनों की पार्किंग उचित है?

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