अब भारी बारिश की मार झेल लेगी दिल्ली, ड्रेनेज मास्टर प्लान में शामिल होगा यमुना की बाढ़ से बचाने का प्लान
दिल्ली में यमुना का जलस्तर बढ़ने से 2023 की बाढ़ की यादें ताजा हो गईं। सरकार अब ड्रेनेज मास्टर प्लान में यमुना से बचाव के उपाय शामिल करेगी। एनडीएमए के निर्देश पर पीडब्ल्यूडी को योजना बनाने के आदेश दिए गए हैं। 1976 के बाद अब यमुना की बाढ़ को रोकने के लिए प्रयास हो रहे हैं। विशेषज्ञों ने दीर्घकालिक और त्वरित उपायों की आवश्यकता पर बल दिया है।

वी के शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली में यमुना उफान पर हैं, हर किसी काे जुलाई 2023 के हालात की याद आ रही है, जब दिल्ली का कश्मीरी गेट से लेकर आईटीओ तक का रिंग रोड का इलाका जलमग्न हो गया था और इस इलसके में नाव चल रही थीं।
इसे देखते हुए दिल्ली के लिए बन रहे ड्रेनेज मास्टर प्लान में दिल्ली को यमुना की बाढ़ से बचाने की याेजना भी अब शामिल होगी। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने इस मामले में भेजे गए पत्र के बाद दिल्ली सरकार ड्रेनेज मास्टर प्लान के मसौदे में बदलाव करेगी ।
इस बारे में सरकार ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को निर्देश दिए हैं। प्राधिकरण ने यमुना में बाढ़ आने पर दिल्ली को बचाए जाने के लिए योजना बनाए जाने की बात कही है। इसके लिए अब यमुना की बाढ़ का चेप्टर भी मसौदे में जोड़ा जाएगा।
ऐसे में दिल्ली में मानसून के दौरान जल निकासी के समाधान को लेकर बनाए गए ड्रेनेज मास्टर प्लान के मसौदा जारी होने में समय लग सकता है। 50 साल बाद फिर से दिल्ली के ड्रेनेज मास्टर प्लान के लिए प्रयास शुरू किए गए हैं। जिसमें मानसून के दौरान दिल्ली में जलभराव को रोकने के समाधान के सुझाव दिए गए हैं।
1976 में बना था व्यापक ड्रेनेज मास्टर प्लान
दिल्ली के लिए इससे पहले व्यापक जल निकासी मास्टर प्लान 1976 में तैयार किया गया था। मगर यमुना की बाढ़ को लेकर कभी काम नहीं हुआ था। पूर्व में जाएं तो ड्रेनेज मास्टर प्लान लागू होने के दो साल बाद 1978 में यमुना में भयंकर बाढ़ आई थी।
विशेषज्ञ बताते हैं कि उस समय तो कुछ हलचल हुई थी, मगर उसके बाद प्रशासन सुस्त पड़ गया था। फिर यमुना में बाढ़ नहीं आई और सभी कुछ ऐसे ही चलता रहा। अधिकारियों का कहना है शहरीकरण तेजी से बढ़ने के कारण एक नयी रणनीति की जरूरत है।
लोक निर्माण विभाग ने शहर को तीन बेसिन- नजफगढ़, बारापुला और ट्रांस-यमुना बेसिन- में विभाजित किया है और जल निकासी नेटवर्क को फिर से तैयार करने के लिए सलाहकारों को नियुक्त किया है। अधिकारी ने कहा कि ‘विशेष सलाहकारों ने जल निकासी दक्षता में सुधार के लिए ढलानों, गड्ढों और मौजूदा पुराने व अपर्याप्त बुनियादी ढांचे जैसे कारकों का विश्लेषण किया है।
राष्ट्रीय राजधानी में आठ विभिन्न बड़े नालों के तहत कुल लंबाई 3740.31 किलोमीटर है। दिल्ली एक ऐसा शहर है जो 65 प्रतिशत तक अनियोजित तरीके से बसा है। जहां सुनियोजित तरीके से ड्रेनेज सिस्टम नहीं बनाया गया है। यहां 1700 अनियमित कालोनियां हैं, जहां ड्रेनेज सिस्टम ही नहीं है।
2023 में दिल्ली में हो गए थे चिंताजनक हालात
2023 में यमुना की बढ़कर लेकर दिल्ली में चिंताजनक हालात हो गए थे, उस समय दिल्ली सरकार ने सेना से मदद मांगी थी और सेना ने कई घंटे की मसक्कत के बाद आइपी एस्टेट के पास टूटे हुए यमुना रेगुलेटर के हिस्से की मरम्मत की गई थी।
यह वह समय था जब रिंग रोड पर नाव चल रही थी। कश्मीरी गेट से लेकर आइटीओ तक पूरा रिंग रोड जलमग्न था। जानकारों की मानें तो 1978 के बाद यानी दिल्ली में 45 साल बाद एेसी भयंकर बाढ़ आई थी।
पहले की बात करें तो 1978 में यमुना का जलस्तर 207.49 मीटर पहुंचा था, तब आधी राजधानी पानी में डूब गई थी, आलम ये था कि लाखों लोग बेघर हो गए थे और सेना को मोर्चा संभालना पड़ा था। दिल्ली में 2023 यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से करीब 2.5 मीटर ऊपर पहुंच गया था, पुराने रेलवे ब्रिज पर पानी 207.81 मीटर दर्ज हुआ था।
100 साल के इतिहास में ये पहली बार था जब यमुना का जलस्तर इतना पहुंचा। यह पहली ऐसी बाढ़ थी जिसने सरकार को इस ओर सोचने पर मजबूत किया था, मगर कुछ महीने तक इसका असर दिल्ली की सत्ता में देखा गया उसके बाद अधिकारी और नेता फिर चुप हो करके बैठ गए।
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली को यमुना की बाढ़ से बचाने के लिए दूरगामी प्रयास
- दिल्ली के अधिकार क्षेत्र में यमुना के किनारे ऊंचा पुस्ता बनाए जाने की जरूरत
- पुस्ते को मजबूती देने के लिए दिल्ली के उत्तरी छोर से नोएडा की सीमा तक पुस्ते के साथ सड़क भी बनाई जा सकती है
- पुस्ते के साथ ही तकनीकी सर्वेक्षण के आधार पर मोटी दीवार बनाने की जरूरत
- पहले का आधा अधूरा बना पुस्ता जिन भागों में टूट रहा है उसे भी उसकी भी मरम्मत की जरूरत
- यमुना से शहर की ओर आ रहे सभी एंट्री प्वाइंट पर यमुना का पानी रोकने के लिए स्थाई प्रबंध करने की जरूरत
- यमुना खादर में बसावट को हटाए जाने की जरूरत
- दिल्ली क्षेत्र में यमुना की गहराई बढ़ाए जाने की जरूरत
- विशेषज्ञों के अनुसार,यमुना की बाढ़ से शहर को बचाने के लिए त्वरित प्रयास हों
- जुलाई 2023 में जिन स्थानों से शहर में यमुना का पानी घुसा था वहां पर इंतजाम करने की जरूरत
- यमुना बाजार इलाके में पानी रोेकने के लिए पुख्ता इंतजाम करने की जरूरत
- यमुना में बाढ़ के समय शहर के पानी के निकासी के लिए भी उचित प्लान की जरूरत
- जिन नालों से शहर का पानी यमुना में जाता है, बाढ़ आने पर उन नालों से उल्टा पानी शहर में आने लगता है, ऐसे समय में सभी नालों को बंद किया जाता है।
- समस्या यह है कि इस दौरान शहर का पानी कैसे निकाला जाए
- इस समस्या को दूर करने के लिए वैकल्पिक इंतजाम करने की जरूरत
- यमुना डूब क्षेत्र से झुग्गियों सहित किसी भी निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगे
- यमुना खादर में मलबा आदि पर डालने पर सख्त कार्रवाई हो
यमुना की बाढ़ से दिल्ली को बचाने के लिए गंभीरता से काम की जरूरत- ओपी त्रिपाठी
देश की राजधानी दिल्ली होने के बाद भी यमुना को लेकर अभी तक जितनी गंभीरता से कम होना चाहिए था वह नहीं हुआ है, कारण इसका यह भी रहा है कि कभी बाढ़ इतनी ज्यादा नहीं आई कि शहर में पानी घुसे।
मगर 2023 में यह सब सामने आ चुका है जब यमुना का यमुना का बाढ़ का पानी शहर में घुस गया। इसके लिए अब यमुना के बाढ़ के पानी को रोकने के लिए गंभीरता से काम करना पड़ेगा अन्यथा आने वाले समय में यह समस्या 2023 से भी ज्यादा विकराल हो सकती है।
पानी अपना रास्ता बना लेता है और यही 2023 में भी हुआ था जब यमुना में भयंकर बाढ़ आई तो आइपी एस्टेट के पास रेगुलेटर को तोड़कर आईटीओ इलाके में यमुना का पानी घुसा, वहीं निगमबोध घाट के आसपास से पानी शहर में प्रवेश कर गया।
अब जरूरत है यमुना के लिए दूरगामी और त्वरित याेजना पर काम हो। यमुना के पानी को रोकने के लिए विस्तार से प्लान बनाया जाए और त्वरित प्लान भी होना चाहिए जिस पर तुरंत काम किया जा सके।
- ओपी त्रिपाठी, पूर्व प्रमुख अभियंता, लोक निर्माण विभाग
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