अब नहीं डूबेगी दिल्ली! अगले 30 सालों के लिए नया ड्रेनेज मास्टर प्लान तैयार
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दिल्ली के लिए नया ड्रेनेज मास्टर प्लान जारी किया है। यह प्लान 1976 के प्लान को अपडेट करता है और प्रति घंटे 70 मिमी वर्षा जल का प्रबंधन कर सकता है। दिल्ली को तीन हिस्सों में बांटकर ड्रेनेज सिस्टम को अपग्रेड किया जाएगा। इस योजना पर लगभग 57000 करोड़ रुपये की लागत आएगी और यह अगले 30 वर्षों की जरूरतों को पूरा करेगा।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को राजधानी में जलभराव की समस्या के समाधान के लिए दिल्ली सरकार द्वारा तैयार किया गया नया ड्रेनेज मास्टर प्लान जारी किया। यह ड्रेनेज प्लान मौजूदा प्लान से दोगुने से भी ज़्यादा वर्षा जल का प्रबंधन कर सकेगा।
यह नया प्लान 1976 से तैयार किया जा रहा है। नए प्लान में प्रति घंटे 70 मिमी तक वर्षा जल की निकासी की व्यवस्था होगी। वर्तमान में केवल 30 से 35 मिमी वर्षा जल की निकासी हो पाती है। दिल्ली को तीन हिस्सों: नजफगढ़, बारापुला और यमुनापार में बांटा जाएगा और ड्रेनेज सिस्टम को पाँच चरणों में अपग्रेड किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की मौजूदगी में यह प्लान जारी किया। इसे अगले 30 वर्षों में शहर की जल निकासी संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है।
मंत्री ने ड्रेनेज मास्टर प्लान के क्रियान्वयन में राज्य सरकार को सहयोग का आश्वासन दिया। यह योजना शहर को तीन बेसिनों - नजफगढ़, बारापुला और ट्रांस-यमुना बेसिन में विभाजित करती है, जिसकी अनुमानित लागत ₹57,000 करोड़ है। नया ड्रेनेज मास्टर प्लान पूरे 18,958 किलोमीटर लंबे ड्रेनेज नेटवर्क को कवर करता है।
हर मानसून में, दिल्ली की कई सड़कें तालाबों जैसी दिखती हैं। इसका मुख्य कारण नालों से अपर्याप्त जल निकासी है। दिल्ली के लिए पिछला ड्रेनेज मास्टर प्लान 1976 में बनाया गया था। उस समय, जनसंख्या केवल 60 लाख थी, और ड्रेनेज मास्टर प्लान 30-35 मिमी प्रति घंटे की वर्षा के आधार पर विकसित किया गया था।
वर्तमान में, जनसंख्या लगभग 2.5 करोड़ है। ग्लोबल वार्मिंग और अन्य कारकों के कारण, वर्षा भी बढ़ रही है। तदनुसार बुनियादी ढाँचा बनाया जाएगा। ड्रेनेज मास्टर प्लान पर काम पाँच चरणों में किया जाएगा।
इस मास्टर प्लान में दिल्ली के प्रमुख नालों पर महत्वपूर्ण व्यय शामिल होगा। इसमें से 35,000 करोड़ रुपये नजफगढ़ नाले पर, 14,000 करोड़ रुपये बारापुला नाले पर और 9,000 करोड़ रुपये शाहदरा नाले पर खर्च किये जायेंगे।
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