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    मानसून से पहले दिल्ली के सामने बड़ा खतरा, समय रहते नहीं हुआ ये काम तो बढ़ जाएगी टेंशन

    Updated: Mon, 12 May 2025 09:22 AM (IST)

    दिल्ली में महारानी बाग के पास तैमूर नगर नाले की चौड़ाई कम होने से जलभराव का खतरा बढ़ गया है। नाले के मुहाने पर अतिक्रमण और पुलिया बाधा बन रहे हैं जिससे पानी का प्रवाह रुक सकता है। मानसून से पहले नाले की सफाई और चौड़ाई बढ़ाने की जरूरत है वरना आसपास की कॉलोनियों में इस बार भी भीषण जलभराव का खतरा हो सकता है।

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    तैमूर नगर एक्सटेंशन में यमुना से मिलने से पहले नाले के मुहाने की स्थिति। जागरण

    मुहम्मद रईस, दक्षिणी दिल्ली। दिल्ली में महारानी बाग के पास जहां तैमूर नगर नाले की शुरुआती चौड़ाई 20 से 25 फीट है, वहीं अंतिम छोर महज आठ फीट ही बचा है। निकासी पर आसपास के लोगों की आवाजाही के लिए अस्थायी पुलिया बनी है। इसी के नीचे दो-दो फीट (24 इंच) की चार पाइपों के जरिए तैमूर नगर नाले का सारा ड्रेनेज यमुना में गिर रहा है, जो पहले से ही आधे ब्लॉक हैं।

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    इन इलाकों में ज्यादा खतरा

    हाई कोर्ट के आदेश पर स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने अभियान चलाकर किनारे के अतिक्रमण को हटा दिया पर नाले के प्रवाह में चार अस्थायी पुलिया अब भी बाधा हैं। मानसून से पहले बाधाओं को हटाते हुए मुहाने पर नाले की चौड़ाई नहीं बढ़ाई गई तो महारानी बाग, फ्रैंड्स कालोनी, न्यू फ्रैंड्स कालोनी, सनलाइट कालोनी व कालिंदी कालोनी और आसपास के लोगों को एक बार फिर ‘जल प्रलय’ का सामना करना पड़ सकता है।

    दरअसल, किनारों पर अतिक्रमण के चलते तैमूर नगर नाले का प्रवाह बाधित था। सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के इस नाले से महारानी बाग, फ्रैंड्स कालोनी, न्यू फ्रैंड्स कालोनी, सनलाइट कालोनी व कालिंदी कालोनी का ड्रेनेज भूमिगत जल निकासी नेटवर्क ईस्टर्न एवेन्यू रोड (महारानी बाग के गेट नंबर 5 के पास) के पास जुड़ा है। 

    कूड़े के ढेर लगे

    वहीं, खुले में बहने वाले नाले का शुरुआती हिस्सा 20 से 25 फीट चौड़ा है, लेकिन कूड़े के ढेर और अतिक्रमण के कारण इसकी चौड़ाई आगे जाकर कई जगहों पर महज आठ से 10 फीट रह गई है। तेज वर्षा में नाले का बहाव अवरुद्ध हो जाता है। इससे पानी वापस उन कालोनियों में जाने लगता है, जिनकी जल निकासी तैमूर नगर नाले में होती है। पानी सीवेज लाइन से भी बैक होकर आसपास के इलाकों में भर जाता है। मेन ड्रेनेज चोक होने के चलते पंप आपरेटर भी पानी निकासी की व्यवस्था नहीं करा पाते।

    बता दें कि अतिक्रमण हटाकर आसपास के इलाकों को जलभराव से काफी हद तक राहत मिलेगी। नाले के अंदर की बाधा दूर कर प्रवाह कराया जाए ठीक: यमुना सफाई को लेकर जनजागरूकता की दिशा में करीब एक दशक से काम कर रहे स्वयंसेवक भूपेश गुप्ता भी मुहाने पर नाले की कम चौड़ाई को खतरा मानते हैं।

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    उन्होंने कहा कि जितनी चौड़ाई शुरू में है, उतनी ही मुहाने पर किया जाना जरूरी है। ऐसा न होने पर मानसून में नाला चोक हो जाएगा और आसपास के इलाकों में जलभराव का कारण बनेगा। किनारे का अतिक्रमण तो हटाया गया, पर प्रवाह में जो बाधाएं नाले में हैं, उन्हें भी दूर करने की जरूरत है।

    जागरण सुझाव

    • तैमूर नगर एक्सटेंशन में नाले के मुहाने की चौड़ाई बढ़ाई जाए। 
    • अंतिम छोर पर 80 मीटर के अंतराल पर बने दोनों पुलियों को नए सिरे से बनाया जाए। 
    • हनुमान मंदिर के पास जल बोर्ड की मोटी पाइपलाइन को नाले से ऊपर किया जाए, ताकि प्रवाह में अवरोध न हो। 
    • अतिक्रमण का मलबा हटने के बाद जितना चौड़ा नाला शुरू में है, उतना ही अंतिम छोर तक किया जाए। 
    • नाले में कचरा फेंके जाने से आसपास के लोगों को रोका जाए, उन्हें जागरूक किया जाए।