दिल्ली में 12 डॉग शेल्टर होम बनाने की तैयारी, आवारा कुत्तों की समस्या से मिलेगा छुटकारा
दिल्ली नगर निगम 12 डॉग शेल्टर बनाने की योजना बना रहा है क्योंकि शहर में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 10 लाख है। स्थानीय निवासियों द्वारा कुत्तों के काटने की लगातार शिकायतों के बाद यह निर्णय लिया गया। स्थायी समिति ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जिसका उद्देश्य कुत्तों की नसबंदी और उन्हें बेहतर उपचार प्रदान करना है।

जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। दिल्ली नगर निगम आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए 12 डॉग शेल्टर बनाने की तैयारी कर रहा है। अभी दिल्ली में एक भी डॉग शेल्टर नहीं है, जबकि यहां आवारा कुत्तों की संख्या करीब 10 लाख है। हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी राजधानी में आवारा कुत्तों के पुनर्वास के लिए योजना बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया था।
एमसीडी की स्थायी समिति के सदस्य राजपाल सिंह ने बताया कि क्षेत्र में आवारा कुत्तों के काटने की शिकायतें लगातार आ रही थी। इसको लेकर स्थानीय लोग कई बार डॉग शेल्टर बनाने की भी मांग कर चुके हैं।
आवारा कुत्तों की नसबंदी पर कितना होता है खर्च?
स्थानीय लोगों की समस्या व मांग को देखते हुए आवारा कुत्तों की नीति से जुड़ा एक प्रस्ताव बुधवार को स्थाई समिति के समक्ष पेश किया गया। इसमें दिल्ली के 12 जोन में डॉग शेल्टर बनाने का भी प्रस्ताव रखा गया है। इसको सर्व सम्मति से मंजूरी दे दी गई है।
उन्होंने बताया कि निगम आवारा कुत्तों की नसबंदी पर करीब 1.20 करोड़ रुपये खर्च करता है, लेकिन हकीकत इससे अलग है। हालात को देखते हुए शहर के 100 फीसदी आवारा कुत्तों की नसबंदी होनी चाहिए, ताकि रेबीज के मामलों में कमी आ सके।
रिकॉर्ड के अनुसार अभी दिल्ली में 35 फीसदी आवारा कुत्तों की नसबंदी नहीं हुई है। इसलिए डॉग शेल्टर बनाने का प्रस्ताव रखा गया है, ताकि इन्हें बेहतर उपचार व भोजन भी मिल सके। इस प्रस्ताव पर स्थायी समिति की अध्यक्ष सत्य शर्मा ने एक कमेटी बनाने का आश्वासन दिया गया है। इसमें पशु चिकित्सक, रखरखाव वाले एनजीओ, आरडब्ल्यूए और निगम के सदस्य शामिल होंगे।
आवारा कुत्तों के लिए डॉग शेल्टर बनाने बहुत आवश्यक हैं। आए दिन कोई न कोई डॉग बाइट का मामला सामने आता है। इससे बुजुर्ग व बच्चों सहित अन्य लोग रेबिज जैसी खतरनाक बीमारी की चपेट में आते हैं। - संजय सिंह, संरक्षक, श्री निवासपुरी विकास मंच (आरडब्ल्यूए)
दिल्ली में 100 फीसदी आवारा कुत्तों की नसबंदी बहुत जरूरी है। इसके अलावा उनके पुनर्वास की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए, ताकि उन्हें बेहतर खाना व उपचार भी मिल सके।
- इंदर कुमार (टीटू), महासचिव, श्री निवासपुरी विकास मंच (आरडब्ल्यूए)
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