'दुष्कर्म के सबसे घिनौने और घृणित रूपों में एक है डिजिटल रेप', कोर्ट ने दोषी को सुनाई आजीवन कारावास की सजा
दिल्ली की एक विशेष अदालत ने सात साल की बच्ची के साथ डिजिटल दुष्कर्म के मामले में दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि डिजिटल दुष्कर्म दुष्कर्म के सबसे घिनौने और घृणित रूपों में से एक है। दोषी पीड़िता का पड़ोसी था और उस पर भरोसा किया जा सकता था फिर भी उसने बच्ची का यौन शोषण किया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। तीस हजारी स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत ने फरवरी माह में सात वर्ष की नाबालिग बच्ची के साथ गंभीर यौन उत्पीड़न करने के लिए एक व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया ने कहा कि डिजिटल दुष्कर्म, दुष्कर्म के सबसे घिनौने और घृणित रूपों में से एक है।
अदालत ने कहा कि दोषी पीड़िता का पड़ोसी था और वो उस पर भरोसा कर सकती थी। फिर भी उसने बहला-फुसलाकर बच्ची की यौन शोषण किया। अदालत ने कहा कि बच्ची के साथ दोषी का व्यवहार न केवल शारीरिक शक्ति का घृणित दुरुपयोग था, बल्कि एक पड़ोसी के रूप में विश्वास का उल्लंघन भी था। अदालत ने पीड़िता को 12.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।
विशेष सरकारी अभियोजक श्रवण कुमार बिश्नोई ने दोषी के खिलाफ उच्चतम निर्धारित सजा की मांग करते हुए कहा कि दोषी ने नाबालिग पीड़िता की कमजोरी का फायदा उठाया, जबकि वह अच्छी तरह जानता था कि उस पर भरोसा किया जा रहा है। अदालत ने दोषी को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत दोषी ठहराया था।
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