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    'जाफराबाद हिंसा की केस डायरी सुरक्षित रखे दिल्ली पुलिस', हाईकोर्ट का सख्त निर्देश

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 12:33 AM (IST)

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े जाफराबाद हिंसा मामले की केस डायरी को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। अदालत ने कलिता की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार किया लेकिन डायरी में संशोधन करने से इनकार कर दिया। कलिता और नरवाल ने पुलिस पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था जिसके बाद अदालत ने यह आदेश दिया।

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    अदालत ने कलिता की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार किया। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान जाफराबाद हिंसा से संबंधित केस डायरी को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है।

    न्यायमूर्ति रवींद्र डुडेजा की पीठ ने कहा कि याचिका आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और केस डायरी को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया जाता है। हालाँकि, अदालत ने पुलिस डायरी को संशोधित करने के कलिता के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।

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    कलिता ने निचली अदालत के 6 नवंबर, 2024 के फैसले को चुनौती दी थी। कलिता और छात्र कार्यकर्ता नताशा नरवाल ने दिल्ली पुलिस पर केस डायरी में शामिल गवाहों के बयानों से छेड़छाड़ करने और उनकी तारीखें बदलने का आरोप लगाया था।

    प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट उद्धव कुमार जैन ने राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि इस स्तर पर आरोपों की सत्यता और सच्चाई की जांच नहीं की जा सकती। 2 दिसंबर, 2024 को एक अंतरिम आदेश पारित करते हुए, अदालत ने दिल्ली पुलिस को केस डायरी को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया।

    पूरा मामला 26 फ़रवरी, 2020 को दर्ज एक प्राथमिकी से संबंधित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कलिता, नरवाल और उमर खालिद व गुलफिशा फ़ातिमा सहित अन्य लोगों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की आड़ में जाफ़राबाद में अशांति भड़काने की साज़िश रची थी। इस मामले में कलिता को सितंबर 2020 में ज़मानत मिल गई थी।