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    आतंकी साजिश के आरोपी को राहत देने से हाईकोर्ट का इनकार, विदेशी नागरिकों के अपहरण की साजिश में शामिल था आरोपी

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 08:04 PM (IST)

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने आतंकी साजिश के दोषी नासिर मोहम्मद सोदोजी की समयपूर्व रिहाई की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि वह चार विदेशी नागरिकों के अपहरण की साजिश में शामिल था। अदालत ने सजा समीक्षा बोर्ड के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि जनहित को देखते हुए राहत नहीं दी जा सकती क्योंकि अपराध देश को अस्थिर करने के उद्देश्य से किया गया था।

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    अदालत ने कहा कि वह चार विदेशी नागरिकों के अपहरण की साजिश में शामिल था। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आतंकवादी साजिश के दोषी नासिर मोहम्मद सोदोजी उर्फ ​​आफताब अहमद की समयपूर्व रिहाई की अपील याचिका पर राहत देने से इनकार कर दिया।

    न्यायालय ने रिकॉर्ड पर लिया कि याचिकाकर्ता चार विदेशी नागरिकों के अपहरण की आतंकवादी साजिश में शामिल होने का दोषी है। उसका उद्देश्य अपहरण के बदले जेल में बंद आतंकवादियों को रिहा करने के लिए भारत सरकार पर दबाव बनाना था।

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    न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने समयपूर्व रिहाई से संबंधित आवेदन को खारिज करने वाले सजा समीक्षा बोर्ड के 30 जून, 2023 के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि समीक्षा प्राधिकारी को संबंधित नियम के तहत लंबी कैद के आधार पर इस पर विचार करना चाहिए, लेकिन यह जनहित से ऊपर नहीं हो सकता।

    ऐसे मामले में जहां देश को अस्थिर करने और उसके नागरिकों व अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों में भय फैलाने के लिए अपराध किए गए हों, राहत देने का कोई आधार नहीं है।

    न्यायालय ने कहा कि विदेशी नागरिकों के अपहरण की कार्रवाई भारत की संप्रभुता के खिलाफ खतरा पैदा करने के लिए की गई थी, जिसके अंतरराष्ट्रीय परिणाम हो सकते हैं। इस कृत्य ने न केवल घरेलू सुरक्षा को कमज़ोर किया, बल्कि विश्व समुदाय के समक्ष भारत की प्रतिष्ठा को भी धूमिल किया।

    इस दोषी को 2002 में एक विशेष न्यायाधीश ने राजद्रोह, टाडा अधिनियम और विदेशी अधिनियम की धाराओं के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराया था। उसे पहले मृत्युदंड दिया गया था। हालाँकि, 2003 में, सर्वोच्च न्यायालय ने मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया।

    समयपूर्व रिहाई की माँग करते हुए, दोषी ने कहा था कि दो दशक से अधिक की सजा काटने के बाद, वह दिल्ली सरकार की 2004 की नीति के तहत निर्धारित सीमा को पूरा करता है और उसकी रिहाई पर विचार किया जाना चाहिए था।