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    Delhi News: चार साल तक जेल में रहने के बाद युवक हत्या के मामले में बरी, पुलिस नहीं पेश कर पाई ठोस सबूत

    दिल्ली के अशोक विहार में चार साल पहले हुई हत्या के मामले में कोर्ट ने एक युवक को बरी कर दिया है। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए माना कि अन्य आरोपितों के वारदात में शामिल होने का कोई भी सबूत पुलिस के पास नहीं है। पुलिस उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई जिसके बाद रोहिणी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विक्रम ने उसे बरी कर दिया।

    By Shipra SumanEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Tue, 19 Dec 2023 11:02 PM (IST)
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    चार साल तक जेल में रहने के बाद युवक हत्या के मामले में बरी

    जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। अशोक विहार क्षेत्र में चार साल पहले हुई हत्या के मामले में पुलिस ने एक युवक को गिरफ्तार किया था, जिसे अब कोर्ट ने बरी कर दिया है। इस मामले में चार साल तक आरोपित जोगिंदर को जेल में रखा गया। पुलिस उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई, जिसके बाद रोहिणी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विक्रम ने उसे बरी कर दिया।

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    आरोपित के खिलाफ नहीं था कोई सबूत

    कोर्ट ने कहा कि आरोपितों की उपस्थिति को दर्शाने के लिए कोई सार्वजनिक साक्षी नहीं था और न ही कोई सबूत था। वर्ष 2019 के 28 फरवरी को वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में लूटपाट का विरोध करने पर नसीम नाम के युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उससे 1.75 लाख रुपये लेने की कोशिश में यह हत्या हुई थी। पुलिस के इस मामले में सीसीटीवी फुटेज देखा था जिसमे एक व्यक्ति को गोली चलाते हुए देखा।

    खुलासे के आधार पर हुई थी गिरफ्तारी

    इससे पहले कीर्ति नगर में दर्ज हत्या के एक अन्य मामले में पुलिस ने अजय शर्मा, दीपक, सलीम व हरि मोहन को गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि वजीरपुर में लूट व हत्या की घटना हुई और इस वारदात में जोगिंदर व जितेंद्र भी शामिल थे। इसके बाद इन दोनों को गिरफ्तार किया गया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील रवि दराल ने कहा कि केवल खुलासे के आधार पर जोगिंदर को गिरफ्तार किया गया है।

    पुलिस गलत ढंग से युवक को फंसाया

    उसके पास जो बाइक बरामद दिखाई गई है वो उसके भाई की है। घटना के दौरान सीसीटीवी में यह बाइक नहीं दिख रही है। इसके साथ ही जो मोबाइल नंबर जोगिंदर के पास से बरामद की गई, वह उसके नाम पर है। पुलिस ने गलत ढंग से जोगिंदर को फंसाया है। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए माना कि सीसीटीवी में सिर्फ एक व्यक्ति गोली चलाता हुआ दिख रहा है जिसे अजय बताया जा रहा है।

    वारदात में प्रयोग पिस्तौल भी अजय के पास से ही बरामद की गई। इस तरह से अन्य आरोपितों के वारदात में शामिल होने का कोई भी सबूत पुलिस के पास नहीं है। जोगिंदर को केवल गिरफ्तार आरोपितों के बयान पर ही आरोपित बना दिया गया। कोर्ट ने कहा, आरोपों से कोई ऐसा तथ्य नहीं प्रकट हुआ जो उन्हें अपराध से जोड़ सके केवल यही तथ्य था कि वे एक दूसरे के साथ टेलीफोन पर संपर्क में थे।