'ये दो वयस्कों के बीच प्रेम-संबंध का मामला', कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोप से वायुसेना अधिकारी को किया बरी
पटियाला हाउस कोर्ट ने भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी को दुष्कर्म के आरोप से बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी और पीड़िता के बीच प्रेम संबंध थे लेकिन शादी नहीं हो सकी। अभियोजन पक्ष दुष्कर्म के आरोपों को साबित नहीं कर सका। दोनों की वाट्सएप चैट और होटल के कमरे में हुई घटनाओं से दुष्कर्म के आरोपों का खंडन होता है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी को दुष्कर्म के आरोप से बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि आरोपित और पीड़िता के बीच प्रेम संबंध थे, लेकिन शादी तय नहीं हो सकी। वसंत कुंज पुलिस थाने में वर्ष 2018 में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन कुमार ने आरोपित प्रमोद कुमार को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया, क्योंकि अभियोजन पक्ष दुष्कर्म के आरोपों को रिकार्ड पर साबित नहीं कर सका।
आरोप से बरी करने पर क्या बोली अदालत?
अदालत ने कहा कि ये दो वयस्कों के बीच प्रेम संबंध का मामला है, जो एक-दूसरे से विवाह करने के लिए सहमत हुए और इसके परिणामस्वरूप, दोनों परिवार विवाह की संभावनाओं पर चर्चा करने के लिए मिले। अदालत ने कहा कि दोनों के परिवार विवाह पर सहमत नहीं हो सके और बदले की भावना से यह प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। वहीं, दुष्कर्म की घटना रिकॉर्ड पर साबित नहीं हो सकी।
न्यायाधीश ने कहा कि दोनों की वाट्सएप चैट पर की गई बातें निजी और स्पष्ट थी, जो 16-17 फरवरी, 2018 की रात को दुष्कर्म के आरोपों का खंडन करती है। अदालत ने कहा कि ये बेहद असंभव है कि कोई दुष्कर्म के बाद इस तरह की चैट में शामिल हो।
"महिला ने आरोपित के साथ कार में ली सेल्फी''
अदालत ने कहा कि होटल के कमरे में, दोनों ने संगीत का आनंद लिया, निजी क्षणों की सेल्फी ली और यहां तक कि जब आरोपित शौचालय का उपयोग कर रहा था, तब महिला ने शौचालय में झांकने का भी प्रयास किया। अदालत ने कहा इस घटना के बाद भी, महिला ने आरोपित के साथ कार में सेल्फी ली। अदालत ने कहा कि महिला की गवाही विरोधाभासों और विसंगतियों से भरी हुई थी। जांच और मुकदमे के दौरान उसके बयान असंगत थे।
अदालत ने कहा कि अभियोक्ता की गवाही गुणवत्ता से कोसों दूर है। अदालत ने कहा कि आसपास के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, केवल अभियोक्ता की अपुष्ट गवाही के आधार पर अभियुक्त को दोषी ठहराना ठीक नहीं होगा।
क्या था आरोप?
अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि आरोपित और महिला की मुलाकात वैवाहिक साइट पर हुई थी और वे विवाह के लिए राजी हो गए थे। महिला ने आरोप लगाया कि आरोपित ने 16 फरवरी, 2018 को उसे अपने साथ एक होटल के कमरे में चलने के लिए राजी किया, जहां उसने नशीला पेय पिलाने के बाद उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। बाद में उनके परिवार वाले विवाह के लिए राजी नहीं हुए और आरोपित ने भी उससे विवाह करने से इन्कार कर दिया।
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