दिल्ली IAS कोचिंग सेंटर हादसा: नेविन की याद में बन रहा पुस्तकालय, अभ्यर्थियों के परिवारों को अब भी न्याय का इंतजार
कोचिंग सेंटर हादसे में जान गंवाने वाले छात्रों के परिवारों को अभी भी न्याय का इंतजार है। नेविन डल्विन के परिवार ने तिरुवनंतपुरम में एक सामुदायिक हॉल बनाया है और पुस्तकालय की स्थापना कर रहे हैं ताकि स्थानीय छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सके। अन्य पीड़ित परिवारों को भी न्याय का इंतजार है लेकिन अभी तक कोचिंग सेंटर की ओर से कोई मुआवजा नहीं मिला है।

शशि ठाकुर, नई दिल्ली। कोचिंग सेंटर हादसे में जान गंवाने वाले तीनों अभ्यर्थियों के परिवार को न्याय का इंतजार है। इस बीच हादसे में जान गंवाने वाले केरल के नेविन डल्विन के परिवार ने अनूठी पहल की है।
एक वर्ष पूरे होने पर परिवार की तरफ से तिरुवनंतपुरम स्थित घर में एक सामुदायिक हाल बनाया गया है। इसके साथ परिवार एक पुस्तकालय भी बना रहा है। ताकि स्थानीय छात्रों को पढ़ाई के लिए दूर- दराज और दिल्ली जैसे शहरों में न जाना पड़े।
नेविन की मां डॉ. लैंसलेट ने बताया कि तिरुवनंतपुरम स्थित अपने घर में ही बेटे की याद में एक सामुदायिक हाल बनाया है। इसका उद्घाटन रविवार को नेविन की स्मृति पर किया जाएगा। इसके बाद इसे समाज को समर्पित कर दिया जाएगा। ताकि निश्शुल्क सामाजिक आयोजन किए जा सकें।
इसके अलावा पुस्तकालय भी तैयार किया जा रहा है। इसमें नेविन की एमए और एमफिल शोध पर आधारित पुस्तकों के साथ उसकी अन्य पसंदीदा किताबें और निजी वस्तुओं को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
कोचिंग सेंटर ने नहीं दिया कोई मुआवजा
स्वजन के अनुसार इस लाइब्रेरी को बनाने का उद्देश्य वंचित बच्चों और छात्रों को स्थानीय स्तर पर अध्ययन सामग्री और शैक्षणिक संसाधन मुहैया कराना है। उन्होंने कहा कि उनके बेटे को आज तक न्याय नहीं मिला है।
अन्य दो छात्राओं तान्या सोनी और श्रेया यादव के स्वजन को भी न्याय का इंतजार है। श्रेया यादव के चाचा धमेंद्र यादव ने बताया कि उस हादसे से अब तक पूरा परिवार उबर नहीं पाया है। दिल्ली सरकार से स्वजन को 10 लाख रुपये मिले, लेकिन कोचिंग सेंटर की ओर से अब तक कोई मुआवजा नहीं मिला है।
हालांकि, उस दौरान कोचिंग सेंटर के छात्र- छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन किया था। तब एलजी ने सरकार की तरफ से तीनों बच्चों के नाम से एक लाइब्रेरी निर्माण की घोषणा की थी, जो एक साल बाद भी अधूरा है।
वहीं, तान्या सोनी के पिता विजय कुमार ने बताया कि हादसे के बाद उन्होंने हैदराबाद में पढ़ रहे अपने बेटे को वापस बुला लिया। इसके अलावा कोर्ट की धीमी प्रक्रिया पर भी बेहद निराशा जाहिर की।
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