दिल्ली में नालों की सफाई नहीं हुई तो इन पर गिरेगी गाज, CM रेखा गुप्ता का सख्त निर्देश
दिल्ली में जलभराव की समस्या से निपटने के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बड़ा फैसला लिया है। अब नालों की सफाई करने वाले ठेकेदार संबंधित अधिकारी के साथ- ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो जागरण, नई दिल्ली। हर साल मानसून में दिल्लीवासियों को जलभराव की समस्या से जूझना पड़ता है। हल्की बारिश होते ही सड़कें जलमग्न हो जाती हैं, जिससे दुर्घटनाएं भी होती हैं। इस समस्या का मुख्य कारण नालों की सफाई में लापरवाही है।
विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी और अधिकारियों की जवाबदेही न होने के कारण नालों की सफाई ठीक से नहीं हो पाती। इनकी लापरवाही की कीमत दिल्लीवासियों को चुकानी पड़ती है।
बुधवार को दैनिक जागरण से बातचीत में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा, इस समस्या के समाधान के लिए अब नालों की सफाई करने वाले ठेकेदार संबंधित अधिकारी के साथ-साथ विधायक के प्रति भी जवाबदेह होंगे।
अब नपेंगे ठेकेदार
उन्होंने कहा, हर साल मानसून से पहले नालों की सफाई के लिए टेंडर जारी किए जाते हैं, लेकिन सफाई का काम सही तरीके से नहीं होता। अब इस प्रक्रिया को समयबद्ध कर दिया गया है। 31 मार्च तक टेंडर जारी किए जाएंगे और ठेकेदार को 31 अप्रैल तक नालों की सफाई सुनिश्चित करनी होगी। पहले ठेकेदार सफाई करने के बाद अपना काम खत्म कर देते थे।
बाद में जब बारिश होती तो नाला भर जाता और ठेकेदार यह कहकर हाथ खड़े कर देता कि यह उसका काम नहीं है। अब उन्हें साफ कर दिया गया है कि नालों की सफाई का ठेका दो महीने का नहीं बल्कि पूरे साल का है। इस दौरान अगर नाला भर जाता है तो उन्हें आकर सफाई करनी होगी। नाले की सफाई की जिम्मेदारी जितनी एजेंसी की है, उतनी ही विधायक की भी है।
विधायक को नाले की सफाई का काम देखने के बाद ठेकेदार को अनापत्ति प्रमाण पत्र देना चाहिए। अगर विधायक ऐसा नहीं करते तो वे सदन में अपने क्षेत्र के नालों की सफाई न होने की शिकायत भी नहीं करेंगे। वहीं, जब ठेकेदार नाले से गाद निकालकर लैंडफिल साइट पर ले जाएगा तो उसे एक पर्ची मिलेगी। बिना पर्ची दिखाए ठेकेदार को भुगतान नहीं किया जाएगा।
तरह सेंट्रल वर्ज में पेड़ लगाने का ठेका
उन्होंने कहा, इसी तरह सेंट्रल वर्ज में पेड़ लगाने का ठेका लेने वाला ठेकेदार पेड़ लगाता था और चला जाता था, बाद में अगर पेड़ मर भी गए तो कोई चिंता नहीं करता था। अब उसे दो साल के लिए ठेका दिया जाएगा। उसे यह जिम्मेदारी लेनी होगी कि पेड़ न मरें।
इसी तरह हर काम में जवाबदेही तय की जा रही है। सरकार इन तीन बातों पर जोर दे रही है- जवाबदेही, पारदर्शिता और समयबद्धता। इन तीन मापदंडों पर हर विभाग और हर एजेंसी के काम को मापा जा रहा है।
उन्होंने कहा, दिल्ली में प्रशासन और व्यवस्था में सुधार की बहुत जरूरत है। लोगों को अपनी शिकायतें सरकार तक पहुंचाने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है। पिछली सरकार में मुख्यमंत्री के पास न तो कोई विभाग था और न ही कोई काम।
विधायक सड़कों पर नहीं दिखते थे। इससे पता चलता है कि पिछली सरकार में काम कैसे चल रहा था। हम पूरी व्यवस्था को फुलप्रूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि बिना काम के भुगतान न हो। इन प्रयासों से काफी बदलाव दिखना चाहिए। इसके बाद भी अगर कोई शरारत करने की कोशिश करता है तो उसका भी समाधान निकाला जाएगा।

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