Delhi Chunav Results 2025: क्या है BJP की जीत का फैक्टर, इन नेताओं के सिर पर सजा जीत का सेहरा
दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम में बीजेपी को प्रचंड बहुमत हासिल हो गया। वहीं आम आदमी पार्टी की करारी हार हुई जो पिछले 10 साल से दिल्ली की सत्ता पर काबिज थी। वहीं कांग्रेस के हाथ एक भी सीट नहीं आ पाई। बीजेपी के कई नेताओं की ताबड़तोड़ रैली और प्रचार की वजह से पार्टी दिल्ली में 27 साल बाद जीत का स्वाद चख सकी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में 27 सालों के बाद बीजेपी का सत्ता का 'वनवास' खत्म हो गया है। विधानसभा चुनाव नतीजों में भाजपा को बहुमत के आंकड़े से कहीं ज्यादा 48 सीटें मिली हैं, जबकि आम आदमी पार्टी सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई है, लेकिन बीजेपी की इस जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा? आइए बताते हैं कि वे कौन नेता रहे जिनके दम पर बीजेपी दिल्ली की सत्ता में वापसी कर रही है।
राजनाथ सिंह
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भाजपा के स्टार प्रचारकों में शामिल रहे हैं। दिल्ली में उन्होंने सात चुनावी कार्यक्रम किए जिसमें रैली और रोड शो शामिल थे। इनमें से पांच पर भाजपा को जीत मिली। अपने चुनावी कार्यक्रमों में वह लगातार दिल्ली सरकार के कुशासन पर केंद्रित रहे। गौरतलब है कि भाजपा के बड़े नेता होने के साथ साथ वह पूर्वाचलियों के लिए बड़ा चेहरा भी है।
रमेश पोखरियाल निशंक
रमेश पोखरियाल निशंक उत्तराखंड भाजपा के वरिष्ठ नेता है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री के साथ ही केंद्र में भी शिक्षा मंत्री रहे है। पार्टी ने उन्हें दिल्ली की पांच सीटों की पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी दी थी। इनमें नई दिल्ली की भी सीट शामिल है। जहां आप संयोजक अरविंद केजरीवाल उम्मीदवार थे। इसके साथ ही उन्हें जिन चार और सीटों की जिम्मेदारी दी गई थी, उनमें आरके पुरम, कस्तूरबा नगर, मालवीय नगर और ग्रेटर कैलाश है। इन पांचों ही सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है।
मोहन यादव
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को भी पार्टी ने दिल्ली चुनाव में उतारा था। इसके साथ ही उन्हें दिल्ली की 12 विधानसभाओं की जिम्मेदारी दी गई और प्रचार में लगाया था। इन 12 सीटों में 11 पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। एक सीट सीलमपुर पर पार्टी का हार का सामना करना पड़ा। पार्टी ने उन्हें जिन 12 विधानसभा सीटों पर प्रचार का जिम्मा सौंपा था, उनमें हरीनगर, मादीपुर, रोहिणी, मुस्तफाबाद, सीलमपुर, बादली, त्रिनगर, विकासपुरी, नांगलोई जाट, उत्तम नगर, नजफगढ़ और मालवीय नगर सीट है।
मुख्तार अब्बास नकवी
मुख्तार अब्बास नकवी भाजपा की कोर रणनीतिक टीम में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। दिल्ली में उन्हें ओखला, मुस्तफाबाद, कृष्णानगर की सीट पर जहां रैलियों की जिम्मेदारी मिली, वहीं बड़े तौर पर जनसंपर्क के काम से जोड़ गया था। बताया जाता है कि उनके कार्यक्षेत्र में आने वाली सीटों में 90 फीसद पर भाजपा ने जीत दर्ज की।
शाहनवाज हुसैन
शाहनवाज भाजपा के लोकप्रिय मुस्लिम फेस तो हैं लेकिन बिहार चुनाव में उनकी उपयोगिता एक पूर्वाचली नेता के रूप में है। मोतीनगर, मालवीय नगर, मुस्तफाबाद, बल्लीमरान, कृष्णानगर समेत सात सीटों पर वह कई बार कैंपेन के लिए गए। सामान्य जनसंपर्क में भी उनकी भूमिका थी और भाजपा को इसका फायदा मिला।
सिद्धार्थनाथ सिंह
इलाहाबाद के विधायक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को पार्टी ने नवीन शहादरा क्षेत्र में पांच सीटों की जिम्मेदारी दी थी। वह पिछले डेढ़ महीने से यहीं काम कर रहे थे। तत्परता इतनी थी कि उनके क्षेत्र में कुंभ था फिर भी वह किसी अमृत स्नान में नहीं जा सके। इन पांच में से भाजपा को सिर्फ दो सीटों पर ही जीत हासिल हो सकी, क्योंकि इनमें से कई मुस्लिम बहुल सीटें थी।
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