Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Delhi Chunav 2025: नौकरी, रोजगार से अधिक घर में पानी की चिंता, बल्लीमारन में चुनाव बाद गुम होते हैं जनप्रतिनिधि

    By ajay rai Edited By: Sonu Suman
    Updated: Sat, 04 Jan 2025 12:54 PM (IST)

    पुरानी दिल्ली की बस्ती जुलाहन की पतली पतली गलियों में करीब 20 हजार लोग रहते हैं। यहां वोटर भी पांच हजार के करीब हैं। चोक सीवर से गंधाता इलाके मे जैसे हवा में ही बीमारी तैर रही हो और साफ पानी के लिए परेशान लोग कनस्तर लिए जहां तहां दिख जाएंगे। यहां गलियों में एक साथ सैकड़ों पानी के पाइप एक साथ गुथमगुथ नजर आएंगे।

    Hero Image
    बल्लीमारान में साफ पानी देने का आश्वासन देकर गायब हो रहे जनप्रतिनिधि।

    अजय राय, नई दिल्ली। जब चुनाव नजदीक आता है तो नेता व जनप्रतिनिधि को जनता का ख्याल ज्यादा है। हर समस्या को दूर करने का आश्वासन भी खूब मिलता है। लेकिन, जीतने के बाद सब वोट बैंक देखने लगते हैं। जहां रह रहे हैं वहां मूलभूत सुविधाएं भी न मिले तो जीवन की आपाधापी ज्यादा बढ़ जाती है। नौकरी, रोजगार से अधिक घर में पानी की चिंता सताती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह बल्लीमारन इलाके के बस्ती जुलाहन में रह रहे लोगों का उदगार है। वर्षों से पानी के लिए परेशान लोगों जनप्रतिनिधियों से आस छोड़ दी है। अब विधानसभा चुनाव की रणभेरी होने वाली है तो लोकतंत्र के पर्व में आहूति देने से पहले अपनी बेबसी यहां लोग याद कर रहे हैं।

    पतली पतली गलियों में करीब 20 हजार लोग रहते हैं

    पुरानी दिल्ली की बस्ती जुलाहन की पतली पतली गलियों में करीब 20 हजार लोग रहते हैं। यहां वोटर भी पांच हजार के करीब हैं। चोक सीवर से गंधाता इलाके मे जैसे हवा में ही बीमारी तैर रही हो और साफ पानी के लिए परेशान लोग कनस्तर लिए जहां तहां दिख जाएंगे। यहां गलियों में एक साथ सैकड़ों पानी के पाइप एक साथ गुथमगुथ नजर आएंगे। लेकिन, ये भी नाकाफी साबित हो रहे हैं।

    लोगों को पानी खरीदकर लाना होता है

    दरअसल, जब लोगों के घरों में पानी नहीं पहुंच रहा था तो सबने बारी बारी मुख्य पाइपलाइन में ही अपने अपने पाइप जोड़कर घरों में ले गए। दिनोंदिन देखादेखी पाइपों की संख्या बढ़ती गई, लेकिन पानी का प्रेशर नहीं बढ़ा तो स्थिति वही पुरानी हो गई। यहां लोग बताते हैं कि दिन भर में सुबह 5:30 से सात बजे तक एक टाइम पानी आता है, वो भी बदबूदार। उसमें पीछे से प्रेशर नहीं होने से जैसे तैसे कुछ बाल्टी ही भर पाते हैं। पेयजल के लिए बाहर से अधिकांश घरों में पानी खरीद कर आता है।

    वर्षों पुराने तीन कुएं पानी के लिए जीवनरेखा

    यहां लोग भी अन्य दिल्लीवालों की तरह स्वरोजगार या कहीं नौकरी करते हैं। समय से कार्यालय या दुकान पर तैयार होकर जाने के लिए पानी जरूरी है। ऐसे में यहां से वर्षों पुराने तीन कुएं पानी के लिए जीवनरेखा हैं। इन कुओं में मोटर लगाई गई है, वहीं सुबह से लोगों का कनस्तरों में पानी लेने के लिए तांता लगता है। इसका पानी पीने योग्य तो नहीं पर अन्य कार्यों में काम आता है। यहां लोगों का कहना है कि हम भी मतदाता हैं, लगता है जनप्रतिनिधि हमें भूला दिया है। इस पर क्षेत्र के विधायक व मंत्री इमरान हुसैन से पक्ष मांगा गया पर उनका उत्तर नहीं मिला।

    यहां पानी और चोक सीवर सबसे बड़ी समस्या है। बार बार गुहार लगाने के बाद भी जनप्रतिनिधि ने पलटकर नहीं देखा। हम अपनी किस्मत पर रो रहे हैं। - अशोक

    पानी के बिना जीवन की कल्पना कैस की जाती है, कोई आकर हमलोगों को देखे। नींद खुलने के बाद सबसे बड़ी चुनौती पानी का इंतजाम करना होती है। - राहुल

    गृह कार्य बिना पानी के नहीं हो सकते। यहां पानी ही नहीं आता। भला हो कुएं का जो हमारे जीने का सहारा है। नेता सिर्फ वादे करते हैं, उसके बाद हमें वोटर मानते कहां हैं। - धनवति देवी

    यहां सुविधा के नाम पर सिर्फ आश्वासन है। न सड़क है, न पानी है। चोक सीवर कोढ़ में खाज का काम कर रहा है। नर्क बने जीवन में नेताओं से उम्मीद करना बेईमानी है। - शीला देवी

    राजधानी में रहने का गौरव पर जीवन मूलभूत समस्याओं के चलते अभिशाप बन गया है। हमारा दोष कोई बताएं, जो हम इस तरह के अभाव में जीने को मजबूर हैं। - राजकुमार

    यह भी पढ़ें- दिल्ली चुनाव के लिए आई कांग्रेस की तीसरी लिस्ट, CM आतिशी के खिलाफ अलका लांबा को टिकट