Delhi News: दिल्ली बॉर्डर पर टोल प्लाजा हटने से कम होगा प्रदूषण, क्या कहता है नियम?
दिल्ली की सीमा पर एमसीडी नाकों पर टोल टैक्स और ईसीसी वसूली जाती है जिससे जाम लगता है और प्रदूषण बढ़ता है। अध्ययन बताते हैं कि वाहनों का प्रदूषण में बड़ा योगदान है। टोल टैक्स और ईसीसी को हटाने से ईंधन की बचत यातायात सुचारू और प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सकती है। दिल्ली सरकार और एमसीडी को इस पर ध्यान देना चाहिए।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली सीमा पर एमसीडी के 156 नाकों पर ठेकेदार टोल टैक्स व ईसीसी वसूलते हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों पर निजी वाहनों समेत सभी वाहनों से टोल टैक्स अलग से वसूला जाता है। खासकर पीक आवर में टोल टैक्स वसूलने के लिए हर टोल पर लंबा जाम लग जाता है, जिससे आम लोग व वाहन चालक परेशान होते हैं।
टोल प्लाजा पर होती है ये परेशानी
टोल प्लाजा पर लंबे समय तक, पांच से 30 मिनट तक जाम लगा रहता है। सुबह व शाम के समय सड़क पर यातायात बढ़ने से टोल चुकाने वाले व्यावसायिक वाहनों के साथ ही निजी कार, बस, दोपहिया वाहनों को भी परेशानी होती है। टोल टैक्स वसूलने वाले ठेकेदार व उसके गुर्गों की गुंडागर्दी व बदसलूकी आम बात है।
अध्ययन बताते हैं कि दिल्ली के प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदान वाहनों का है। ट्रैफिक जाम और टोल में लगने वाले समय के कारण ईंधन की बर्बादी, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन और खराब हवा के कारण होने वाला प्रदूषण दिल्ली के लिए जानलेवा है।
टोल भुगतान से आगे निकल जाएं तो पुलिस हर कुछ मीटर पर बैरिकेड लगा देती है और वाहनों को कतार में खड़ा करके उनके कागजात चेक करती है, खास तौर पर कमर्शियल वाहनों के कागजात में उनकी दिलचस्पी होती है, प्रदूषण बढ़ाने में यह भी एक कारक है। टोल से मिलने वाली राशि से ज्यादा प्रदूषण से लड़ने पर खर्च करने के बाद भी दिल्ली में स्थिति खतरनाक बनी हुई है, लोग अपनी जान गंवाते हैं।
नियम क्या कहता है?
वाहनों से पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) उत्सर्जन बढ़ने से वायु प्रदूषण होता है। अक्टूबर 2015 में एनजीटी ने दिल्ली में प्रवेश करने वाले वाणिज्यिक वाहनों को टोल टैक्स के अलावा पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क (ईसीसी) का भुगतान करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि 2,000 सीसी और उससे अधिक क्षमता वाले इंजन वाले डीजल वाहन उच्च प्रदूषण स्तर का कारण बनते हैं, इसलिए एनजीटी के आदेश का उद्देश्य ऐसे वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकना था।
दिसंबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रवेश करने वाले लोडेड वाणिज्यिक वाहनों के लिए ईसीसी को दोगुना कर दिया, लेकिन इसका संदेश यह था कि ऐसे वाहन ईसीसी का भुगतान करके दिल्ली में प्रवेश कर सकते हैं। टोल टैक्स के साथ ईसीसी की वसूली से देरी और ट्रैफिक जाम के कारण लोगों की परेशानी बढ़ गई
नियम से पर्यावरण को नुकसान
यह स्पष्ट है कि वाहन उत्सर्जन पीएम को बढ़ाकर वायु को प्रदूषित करते हैं, इसलिए इन वाहनों से ईसीसी वसूलना और उन्हें दिल्ली में प्रवेश की अनुमति देना 'लोगों को जानलेवा जहर से बचाने के लिए टैक्स देने के बाद ही जहर बांटने की अनुमति देने' के समान है।
टोल प्लाजा पर ईसीसी वसूलने से ट्रैफिक जाम और प्रदूषण बढ़ता है, इसलिए गंभीर रूप से प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का दिल्ली में प्रवेश बंद करें। अगर एनजीटी/सुप्रीम कोर्ट ईसीसी वसूली को जरूरी समझे तो व्यावसायिक वाहन फिटनेस और प्रदूषण प्रमाण पत्र नवीनीकरण के समय इसे ऑनलाइन वसूल सकते हैं।
कैसे होगा निवारण?
चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के जरिए चालान काटने वाली ट्रैफिक पुलिस की तर्ज पर वाहनों को रोकने और रोकने की जगह सीसीटीवी के जरिए ईसीसी वसूला जा सकता है। हालांकि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने 1 नवंबर 2025 से बीएस-6 डीजल मानकों से नीचे के व्यावसायिक वाहनों के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया।
जहां तक एमसीडी का सवाल है तो 156 एंट्री प्वाइंट पर भारी मैनपावर, ट्रैफिक जाम, टोल बूथों पर लंबे समय तक रुकने से ईंधन की बर्बादी, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन आदि समस्याओं से निजात पाने के लिए एंट्री प्वाइंट पर टोल टैक्स खत्म करके ईंधन की बचत की जा सकती है, यातायात को सुचारू बनाया जा सकता है और दिल्ली में प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सकती है।
अब दिल्ली सरकार और एमसीडी एक ही पार्टी द्वारा शासित हैं, भाजपा की पुरानी मांग का संज्ञान लें और पांचवें वित्त आयोग की सिफारिश को विधानसभा में पेश करें, जिसमें कहा गया है कि एमसीडी द्वारा लगाया जाने वाला टोल टैक्स खत्म किया जाना चाहिए।
दिल्ली से वाहन खरीदते समय राज्य सरकार सभी वाहनों से रोड टैक्स लेती है, ऐसे में दिल्ली में पंजीकृत कमर्शियल वाहनों से टोल टैक्स और ईसीसी वसूलना अनुचित है। 1 जुलाई 2017 को पूरे देश के लिए एक व्यापक, बहु-चरणीय, गंतव्य-आधारित मूल्य जोड़कर जीएसटी लागू किया गया था।

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