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    चौंकाने वाली रिपोर्ट: बांग्लादेश के घुसपैठियों का सुरक्षित ठिकाना बनी दिल्ली, पढ़ें देह व्यापार से वोट बैंक तक की कहानी

    Updated: Wed, 18 Dec 2024 10:26 AM (IST)

    बांग्लादेशी घुसपैठियों ने दिल्ली को अपना सुरक्षित ठिकाना बना लिया है। ये लोग देह व्यापार से लेकर वोट बैंक तक में अपनी पैठ बना चुके हैं। राजधानी के कई इलाकों में इनकी बस्तियां बस गई हैं। ये लोग दिल्ली के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। इस रिपोर्ट में पढ़िए आखिर ये लोग कैसे राजधानी में आकर आसानी से बस जाते हैं।

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    बांग्लादेश के घुसपैठिये लालच में भारत की राजधानी तक आने के लिए ठेकेदारों से सौदा करते हैं। फाइल फोटो

    अजय राय, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी राजनीति के साथ रोजगार के लिए भी बड़ा केंद्र है। बांग्लादेश के घुसपैठिये इसी लालच में भारत की राजधानी तक आने के लिए ठेकेदारों से सौदा करते हैं। बंगाल व असम में कागजी तौर पर मजबूत बनाने के बाद ठेकेदार ट्रेन से दिल्ली के लिए रवाना कर देते हैं।

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    बताया गया कि वर्षों से चल रहे इस सिलसिले से राजधानी में इनके कई ठिकाने बन चुके हैं। अपने ठेकेदार व एजेंटों के माध्यम से ये सीधे उन्हीं ठिकानों पर पहुंचते हैं। कुछ समय बिताने और यहां भाषा को जल्द सीखने के साथ शुरुआत कूड़ा बीनने से करते हैं। धीरे-धीरे अपने आसपास श्रमिक के तौर पर काम शुरू करते हैं। समय के साथ वोट बैंक बनकर इन्हें राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त हो जाता है।

    वर्षों से दिल्ली में बांग्लादेशी घुसपैठियों का आने का क्रम जारी है। ऐसे में दिल्ली में धीरे-धीरे इनका फैलाव हर हिस्से में हो चुका है और इनके यहीं पर पारिवार भी बस चुके हैं। सस्ता श्रम होने के कारण दिल्लीवाले भी यह जानने की जहमत में नहीं पड़ते कि सामने वाला कौन है। इसी का फायदा उठाकर ये लोग खुद को असम और बंगाल का निवासी बताकर गाड़ी पोछने, प्रेस करने, कूड़ा बीनने, दुकानों पर छोटे-मोटे काम करने लग जाते हैं।

    संगठित रहने और एक मुखिया होने के कारण नेताओं को इनमें वोट बैंक भी दिखता है। समय के साथ भ्रष्ट सिस्टम और क्षेत्रीय नेताओं की सरपरस्ती में इनका मतदाता पहचान पत्र भी बन जाता है। इनका फैलाव दिल्ली के साथ ही पड़ोस के शहरों फरीदाबाद, गाजियाबाद में अधिक है।

    बताया गया कि पहचान के दस्तावेज से लैस होकर ये देश में गरीबी उत्थान के लिए मिलने वाली सुविधाओं के भी हकदार बन जाते हैं। ये सुविधा और अपनी आर्थिक स्थिति बदलने का लालच इन्हें लगातार दिल्ली की ओर आने के लिए आकर्षित करता है।

    ज्यादा कमाई के चक्कर में धीरे-धीरे दिल्ली के ड्रग्स माफिया के लिए ये पैडलर भी बन जाते हैं। ये तस्करों का ड्रग्स दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाते हैं। इनकी बस्तियों में यह हर समय उपलब्ध भी रहता है। इसके साथ ही ये हत्या, लूट, डकैती, चोरी जैसी आपराधिक वारदात में लिप्त होते हैं।

    बस्तियों में संचालित किया जा रहा देह व्यापार का अड्डा 

    इनकी बस्तियों में देह व्यापार का अड्डा भी संचालित किया जा रहा है। वर्षों से दिल्ली में रहने के दौरान इनकी अगली पीढ़ियां भी तैयार हो गई है। पूर्वी दिल्ली में सीमापुरी, दक्षिण दिल्ली में शाहीन बाग, निजामुद्दीन, कालिंदी कुंज, मदनपुर खादर, पश्चिमी दिल्ली में समालका, मुंडका और बाहरी दिल्ली स्थित नरेला, बवाना में इनकी कई बस्तियां बस गई हैं।

    सीमापुरी में इनकी संख्या 40 हजार के अधिक बताई जाती है। यहां एक के बाद एक तीन बड़ी-बड़ी झुग्गियां आकार ले चुकी हैं।

    ये राजधानी के लिए बन सकते हैं बड़ा खतरा 

    दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त एसएन श्रीवास्तव का कहता है कि दिल्ली में घुसपैठियों को आसानी से छोटा-मोटा रोजगार मिल जाता है। इसलिए ये यहां रुख करते हैं। ये राजधानी के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। ये कुछ भी कर सकते हैं। ये आतंकियों का भी मोहरा बन सकते हैं। इनसे सतर्क रहने के साथ पहचान सुनिश्चित करने की जरूरत है।