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    राजधानी बन रही ड्रग्स का ट्रांजिट प्वाइंट, देश और विदेश में भेजने का सबसे आसान रास्ता है दिल्ली

    By Dhananjai MishraEdited By: Pooja Tripathi
    Updated: Sat, 03 Jun 2023 12:10 PM (IST)

    अन्य देशों से कूरियर के द्वारा यहां पर ड्रग्स आसानी से पहुंचाई जाती है। चूंकि कूरियर की जांच सही तरीके से नहीं होती है और इसी कमजोरी का फायदा तस्कर उठाते हैं। इसके साथ ही विभिन्न देशों की फ्लाइट यहां पर अधिक आती हैं।

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    राजधानी बन रही ड्रग्स का ट्रांजिट प्वाइंट। फाइल फोटो

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली ड्रग्स तस्करों का ट्रांजिट प्वाइंट बन चुकी है। यहां पर देश के विभिन्न हिस्सों और विदेश से ड्रग्स आने के साथ ही भेजने का भी काम बड़े स्तर पर हो रहा है।

    यही कारण है कि जहां वर्ष 2021 में ड्रग्स तस्करी के 15 हाटस्पाट थे वह अब बढ़ कर 64 हो गए हैं। दिल्ली पुलिस के सूत्रों का कहना है कि गत तीन वर्षों में दिल्ली में ड्रग्स तस्करों की आवक और गिरफ्तारी बढ़ी है।

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    इसके पीछे की वजह यह है कि ड्रग्स तस्करों को दिल्ली में बेहतर परिवहन सुविधा, ड्रग्स डीलर और ड्रग्स मांग की सुविधा आसानी से उपलब्ध है। साथ ही दिल्ली की सीमा कई राज्यों से लगती है।

    ऐसे में दिल्ली में ड्रग्स लाने और खपाने के लिए अन्य राज्यों तक पहुंचाने का रास्ता आसानी से मिल जाता है। यहां से देश के उत्तरी राज्यों, उत्तर पूर्वी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, मणिपुर, मिजोरम सिक्किम आदि में ड्रग्स को भेजना और मंगाना आसान होता है।

    इसके साथ ही हरियाणा, राजस्थान, पंजाब आदि में भी आसानी से भेजा जाता है। वहीं, अन्य देशों से कूरियर के द्वारा यहां पर ड्रग्स आसानी से पहुंचाई जाती है। चूंकि कूरियर की जांच सही तरीके से नहीं होती है और इसी कमजोरी का फायदा तस्कर उठाते हैं। इसके साथ ही विभिन्न देशों की फ्लाइट यहां पर अधिक आती हैं।

    शराब तस्कर अब करने लगे हैं ड्रग्स तस्करी...

    पड़ताल में यह सामने आया कि ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए दिल्ली-एनसीआर के शराब तस्कर अब ड्रग्स तस्करी करने लगे। इसके पीछे की वजह यह है कि एक किलो हेरोइन या अन्य ड्रग्स छोटे बैग या पैकेट में आ जाएगी। उसे एक अकेला व्यक्ति कहीं भी ले सकता है। एक किलो हेरोइन कम से कम 10 लाख रुपये में बेची जाती है। जबकि 10 लाख रुपये की शराब एक ट्रक में रख कर ही ले जाया जा सकता है। एेसे में तस्करों को पकड़े जाने का अंदेश रहता है।

    यह हैं रूट....

    अफगानिस्तान, पाकिस्तान और म्यांमार के रास्ते दिल्ली पहुंचती है हेरोइन

    दिल्ली में हेरोइन की खेप तीन देशों से पहुंचती है। इनमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और म्यांमार हैं। म्यांमार से हेरोइन की खेप सबसे पहले उत्तर पूर्वी राज्य होते हुए बंगाल भेजी जाती है, इसके बाद बंगाल से कोलकाता फिर यहां से सड़क परिवहन से दिल्ली पहुंचती है।

    अफगानिस्तान से सबसे पहले हेराेइन पाकिस्तान भेजी जाती है। यहां से पंजाब और जम्मू कश्मीर के रास्ते दिल्ली पहुंचती है। इसके अलावा पाकिस्तान से जलमार्ग से हेरोइन गुजरात के बंदरगाह पर भी भेजी जाती है फिर यहां से दिल्ली।

    इसके बाद इन खेप के कुछ हिस्से को दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में खपाने के बाद पश्चिमी यूरोप, कनाडा, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और श्रीलंका भेजी जाती है। यहां तस्कर हवाई मार्ग से अलग अलग देशों में भेजते हैं।

    दो देशों से राजधानी में पहुंचती है कोकेन

    कोकेन देश में दो देशों से पहुंचाई जाती है। अफ्रीका के इथोपिया के अदीस अबाबा शहर से दिल्ली और मुंबई पहुचाई जाती है। इसके साथ ही अबूधाबी से सीधे दिल्ली भेजी जाती है। तस्कर कोकेन भेजने के लिए हवाई मार्ग का उपयोग करते हैं। वह कोकीन को विभिन्न सामानों में छिपा कर भेजते हैं। इसमें खिलौना, साबुन, शैम्पु आदि का इस्तेमाल करते हैं।

    कई प्रदेशों से होती है गांजे की तस्करी

    दिल्ली में गांजा जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, ओडिशा और अंध्र प्रदेश से भेजी जाती हैं। तस्कर रेल मार्ग और सड़क परिवहन से इसे दिल्ली लाते हैं। दिल्ली में गांजा की मांग सबसे अधिक है। इसका इस्तेमाल युवा अधिक मात्रा में करते हैं।

    रेल मार्ग से पहुंचती है अफीम

    अफीम दिल्ली में जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, बिहार, झारखंड और बंगाल से आती हैं। तस्कर रेल मार्ग और सड़क परिवहन से इसे दिल्ली लाते हैं। उक्त राज्यों में इसकी भरपूर खेती की जाती है।

    दिल्ली पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई का विवरण

    वर्ष------------मामले------गिरफ्तारी

    2023-------295-------390

    2022------1,178------1,499

    2021------566-------857

    2020------748-------912

    नोट : वर्ष 2023 के आंकड़े 15 अप्रैल तक के हैं।

    बरामद की गई ड्रग्स (किलोग्राम में)

    वर्ष--------------गांजा----------------हेरोईन---------------कोकेन------------अफीम

    2023-----4,396.3--------94.2----------1---------686

    2022-----9,154.3--------648.3--------0.13-------1.22

    2021-----4,643.4--------155.3--------2.98-------223.3

    2020-----886.9----------28.9--------14.60------16.5

    नोट : वर्ष 2023 के आंकड़े 15 अप्रैल तक के हैं।

    इस वर्ष तस्करों से बरामद नशीली दवाएं

    दवाएं-----------------------मात्रा

    एमडीएमए----------------682 ग्राम

    मेथाक्वालोन----------------2,270 ग्राम

    स्यूडो एफेड्रिन--------------20.51 किलो

    टैब वार्नर-----------------572 टैबलेट

    इंजेक्शन एविल------------114 इंजेक्शन

    शेयरिंग ग्रीन लाइफ-------2,000

    नोट : आंकड़े 31 मई 2023 तक के हैं।

    इन स्थानों पर हैं 64 हॉट स्पॉट...

    -शाहबाद डेरी, भलस्वा डेरी, जहांगीरपुरी, शालीमार बाग केला गोदाम, लालबाग झुग्गी आदर्श नगर,अंधा मुगल, मजनु का टीला, जामा मस्जिद, नंद नगरी, ज्वाला नगर विवेक विहार, नया सीलमपुर, बुलंद मस्जिद शास्त्री पार्क, त्रिलोकपुर ब्लाक 32, जाकिर नगर,तैमूर नगर, हजरत निजामुद्दीन, आरके पुरम जुग्गी, संगम विहार, जजे कालोनी वजीरपुर, सगार पुर, छतरपुर, उत्तम नगर, मोहन गार्डन, नवादा, रघुबीर नगर,शकुरपुर, मंगोलपुरी, अमन विहार, रोहिणी सेक्टर पांच विजय विहार, डीयू नार्थ कैंपस।

    ड्रग्स की तस्करी के लिए डार्क वेब बना हथियार

    दिल्ली में ड्रग्स लाने व यहां से विदेश भेजने के लिए तस्कर डार्क वेब की मदद लेते हैं। इसके लिए वर्चुअल करेंसी का इस्तेमाल किया जाता है। राजधानी के कई पब, बार, होटल आदि में डार्क वेब से मंगाई गई ड्रग्स का ही इस्तेमाल होता है।

    डार्क वेब इंटरनेट का वो हिस्सा है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है। डार्क वेब ओनियन राउटिंग टेक्नोलॉजी पर काम करता है। ये यूजर्स को ट्रैकिंग और सर्विलांस से बचाता है और उनकी गोपनीयता बरकरार रखने के लिए सैकड़ों जगह रूट और री-रूट करता है।

    आसान शब्दों में कहा जाए तो डार्क वेब ढेर सारी आईपी एड्रेस से कनेक्ट और डिस्कनेक्ट होता है, जिससे इसको ट्रैक कर पाना असंभव हो जाता है। यहां यूजर की इन्फॉर्मेशन इंक्रिप्टेड होती है, जिसे डिकोड करना नाममुकिन है। डार्क वेब पर डील करने के लिए वर्चुअल करेंसी जैसे बिटकॉइन का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा इसलिए होता है, ताकि ट्रांजैक्शन को ट्रेस न किया जा सके।