दिल्ली विधानसभा के सदस्यों ने सदन में उठाया कार्यालय न मिलने का मुद्दा, स्पीकर ने दी चेतावनी
दिल्ली विधानसभा में भाजपा विधायकों ने समितियों के चेयरमैन को कार्यालय न मिलने का मुद्दा उठाया। स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने विभागों द्वारा कमरों पर कब्ज़ा करने पर दुख जताया। सरकार ने जल्द कार्रवाई का भरोसा दिलाया और विधायकों को विधानसभा में कार्यालय के लिए प्रक्रिया शुरू करने की बात कही। विपक्ष ने अधिकारियों को तलब करने का सुझाव दिया

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। विधानसभा में बृहस्पतिवार को सदन शुरू होते ही भाजपा विधायकों ने समितियों के चेयरमैन तक को कार्यालय न मिलने का मुद्दा उठाया। एक भाजपा विधायक ने मामला उठाया तो अन्य विधायकों ने भी इसका समर्थन किया।
इस पर स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने दुख जताते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा के 22 एकड़ से ज्यादा बड़े परिसर में कई विभाग अड्डा जमाए बैठे हैं। उन्होंने फार्मेसी काउंसिल और शिक्षा विभाग का नाम लेकर कहा कि ये कई कई कमरे लेकर बैठे हैं। बाबू लोग कई कमरों पर कब्जा किए बैठे हैं।
स्पीकर ने कहा कि 25 समितियों के लिए केवल 11 कमरे हैं। कई चेयरमैन एक कमरे में तीन-तीन मेज डालकर बैठे हैं। गुप्ता ने कहा, मैं एक कमरे में तीन चेयरमैन को बैठने को कैसे मंजूरी दे दूं। यह देखकर मैं खुद परेशान हो रहा हूं, चेयरमैन जब पूछते हैं तो जवाब नहीं दे पा रहा हूं। कई बार मंत्रियों को कह दिया, अधिकारियों को कह दिया।
नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, मैं मुख्य सचिव से कहूंगा कि इन विभागों को शिफ्ट करें। हताशा जाहिर करते हुए वह बोले, शायद विधायिका में शक्तियां कम हैं, स्पीकर की भी शक्तियां कम हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी नौबत न आने दें कि मुझे इन विभागों को कमरे खाली करने के आदेश देने पड़ें जो मेरे अधिकार क्षेत्र में हैं।
हालांकि इस पर दिल्ली सरकार की तरफ से उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि हम जल्द इस विषय पर कार्रवाई करेंगे। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि विधायकों को भी उनकी विधानसभा में कार्यालय के लिए जल्द ही प्रक्रिया शुरू करेंगे। नेता विपक्ष आतिशी ने जरूर इसमें सुझाव दिया कि अधिकारियों को तलब करें।
वहीं मुख्य सचेतक अभय वर्मा ने विधानसभा क्षेत्रों में कार्यालय न मिलने की शिकायतों पर कहा कि पिछले 10 साल में कई सदस्यों ने जो कार्यालय लिए, उनके बिजली के बिल नहीं दिए गए हैं। कई जगह किराया नहीं दिया गया। अब इस पूरी प्रक्रिया पर एक एसओपी बन रही है जिसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा गया है। उसके बाद पूरी प्रक्रिया पटरी पर आ जाएगी।
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