Delhi Landfill Site: कूड़े के पहाड़ नहीं हो रहे खत्म, हवा और भूजल हो रहा प्रदूषित; बहानेबाजी कर रहा निगम
गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी आग की घटना ने एक बार फिर दिल्ली की जनता का ध्यान कूड़े के पहाड़ों ने खींच लिया है। जिन कूड़े के पहाड़ों को वर्ष 2022 से लेकर 2024 तक पूरी तरह खत्म हो जाना चाहिए था वह अभी तक वैसे ही दिखाई दे रहे हैं। कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने के नाम पर इन पर लगी मशीनें खड़ी दिखाई देती हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। गाजीपुर लैंडफिल साइट (Ghazipur Landfill Site) पर लगी आग की घटना ने एक बार फिर दिल्ली की जनता का ध्यान कूड़े के पहाड़ों ने खींच लिया है। जिन कूड़े के पहाड़ों को वर्ष 2022 से लेकर 2024 तक पूरी तरह खत्म हो जाना चाहिए था, वह अभी तक वैसे ही दिखाई दे रहे हैं।
हालांकि कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने के नाम पर इन पर लगी ट्रामल मशीन और क्रेन आदि मशीनें खड़ी दिखाई देती हैं। कू़ड़े के पहाड़ों के आसपास खाली जमीन पर कूड़ा नीचे लाकर फैला दिया है, ऐसे में उनकी ऊंचाई तो कम दिखने लगी है लेकिन समस्या वही है।
पहाड़ को खत्म करने की गति नहीं बढ़ रही
वजह साफ है कि जिस गति से कूड़े के पहाड़ों को खत्म किया जाना चाहिए था वह गति आगे नहीं बढ़ रही है। जिस पर चुनी हुई सरकार और अधिकारी बहानेबाजी करते हुए दिखाई देते हैं। वैसे तो एक साल से स्थायी समिति का गठन नहीं हुआ है, लेकिन उससे पहले जो समय-सीमा बढ़ाई गई थी उसके लिए कौन जिम्मेदार है यह जवाब निगम के पास नहीं है।
भूजल और हवा दोनों प्रदूषित हो रही
तय समय-सीमा में काम पूरा न होने के पीछे निगम की ओर से प्रशासनिक और राजनीतिक कारण अक्सर गिनाए जाते हैं। पर नहीं होता है तो वह समस्या का समाधान। इन कूड़े के पहाड़ों की वजह से भूजल तो दूषित हो ही रहा है। वहीं इनसे निकलने वाली जहरीली मीथेन गैस लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही है और पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचा रही है।
नया कूड़ा बढ़ा रहा परेशानी
कूड़े के पहाड़ों को खत्म न होने के पीछे प्रशासनिक और राजनीतिक विफलता तो है ही, साथ ही कूड़े के पहाड़ों पर पहुंचने वाले कूड़े के लिए गीले-सूखे कूड़े का स्रोत पर निस्तारण न होने की वजह से प्रतिदिन इन लैंडफिल साइटों पर आने वाला नया कूड़ा है। ऐसे में पुराने कूड़े के निस्तारण को यहां मशीनों से तो अलग किया जा रहा है लेकिन नया कू़ड़ा निगम की परेशानी को बढ़ा रहा है।
कितना निकलता है दिल्ली से कूड़ा
राजधानी दिल्ली की बात करें तो प्रतिदिन 11300 मीट्रिक टन कूड़ा प्रतिदिन उत्पन्न होता है। इसमें से 8713 मीट्रिक टन ओखला, नरेला, गाजीपुर और तेहखंड कूड़े से बिजली बनाने के प्लांट पर निस्तारित हो जाता है। बाकी एक हजार टन के करीब कूड़ा कंपोस्टिंग यूनिटों में चला जाता है।
शेष 3200-3500 टन कूड़ा भलस्वा और गाजीपुर लैंडफिल पर जा रहा है। ओखला लैंडफिल पर फिलहाल नया कूड़ा नहीं जा रहा है, क्योंकि उस क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले पूरे कूड़े की खपत या तो वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से हो जाती है या फिर कंपोस्टिंग यूनिटों से हो जाती है।
स्वच्छ भारत मिशन में दिल्ली नगर निगम की ब्रांड अंबेसडर रूबी मखीजा कहती है कि कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने के लिए सबसे जरूरी इस पर नया कूड़ा जाने से रोकना होगा। इसे रोकने के लिए निगम अपने स्तर पर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट या कंपोस्टिंग प्लांट लगाकर कर सकते हैं।
इसमें सर्वाधिक भूमिका नागरिकों की भी है। अगर, वह प्रतिदिन गीला-सूखा कूड़ा स्रोत पर ही अलग करने लगें तो प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले कूड़े की मात्रा को बहुत कम किया जा सकता है।
बार-बार बदल जाती है कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने की समस्य सीमा
दिल्ली में तीन कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने की समय सीमा 2022 से लेकर 2024 तक के बीच थी। फरवरी 2021 में निगम द्वारा एनजीटी में दिए गए हलफनामे के अनुसार गाजीपुर लैंडफिल को सितंबर 2024 तक खत्म हो जाना चाहिए था। जबकि ओखला लैंडफिल को मार्च 2023 और अक्टूबर 2022 में भलस्वा लैंडफिल को खत्म हो जाना चाहिए था। पर निगम बार-बार इनकी समय-सीमा बढा़कर आगे कर दिया जा रहा है।
हालांकि निगम के पास इसके लिए फंड की कोई कमी नहीं लेकिन प्रशासनिक कारणों से यह कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है। निगम ने अब भलस्वा लैंडफिल साइट की समय-सीमा 2025 तो गाजीपुर की 2026 और ओखला लैंडफिल की समय-सीमा दिसंबर 2024 कर रखी है।
निगम अधिकारियों के अनुसार इन लैंड़फिल साइटों पर मशीनों की संख्या बढ़ाने 30-30 लाख मीट्रिक टन कूड़े के निस्तारण के लिए निविदा प्रक्रिया कर ली गई लेकिन स्थायी समिति के गठन न होने और उसकी मंजूरी न मिलने की वजह इसके कार्यादेश तक नहीं हो पाए हैं।
पहले कैसे थी लैंडफिल साइटों को खत्म करने की कार्ययोजना
गाजीपुर लैंडफिल साइट- मार्च 2022 तक 25 फीसद खत्म होना था। मार्च 2023 50 फीसद खत्म होना था। सितंबर 2024 तक 100 फीसद खत्म होना था। कुल 139.9 लाख मीट्रिक टन कूड़ा था।
ओखला लैंडफिल साइट- अक्टूबर 2021 तक 25 फीसद खत्म होना था। अप्रैल 2022 50 फीसद खत्म होना था। मार्च 2023 तक 100 फीसद खत्म होना था। कुल 56.4 लाख मीट्रिक टन कूड़ा था।
भलस्वा लैंडफिल साइट- अप्रैल 2021 तक 25 फीसद खत्म होना था। अक्टूबर 2021 50 फीसद खत्म होना था। जून 2022 तक 100 फीसद खत्म होना था। कुल 80 मीट्रिक टन कूड़ा था।
(आकड़े: फरवरी 2021 में निगम द्वारा एनजीटी में दिए गए हलफनामे के अनुसार)
अब क्या है समय-सीमा
लैंडफिल साइट- कितना कूड़ा था- कितना कूड़ा बचा है- कितनी मशीनें लगी है- अब क्या है लैंडफिल खत्म करने की समय-सीमा
भलस्वा-80-54.58-22-2025
गाजीपुर-140-84.05-25-2026
ओखला-60-34.20-11-2024
नोट: कूड़ा पड़ा होने और कितना कूड़ा पड़ा है के आंकड़े लाख मीट्रिक टन में है।

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