Delhi Air Pollution: पावर प्लांट, रिफाइनरी, ईंट भट्ठे... सिर्फ वाहन और पराली ही नहीं घोल रहे दिल्ली की आबोहवा में जहर
Delhi Air Pollution दिल्ली के प्रदूषण में पराली की चर्चा भी खूब होती है। इन सबके बीच विभिन्न स्रोतों से निकलने वाली गैसें भी वातावरण में आपस में मिलकर सल्फेट नाइट्रेट व अमोनियम जैसे प्रदूषक तत्व तैयार कर रही हैं। दिल्ली में प्रदूषण का प्रमुख स्रोत वाहन सेकेंडरी एरोसोल और बायोमास जलाना है। 14 व 15 नवंबर को प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण वाहनों का धुआं था।

रणविजय सिंह, नई दिल्ली। वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं दिल्ली में प्रदूषण का बड़ा कारण है, यह सभी जानते हैं। इसलिए वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए प्रयास भी किए जाते रहे हैं। यही वजह है कि डीजल से चलने वाली बसों की जगह एनसीजी बसों ने ले ली और अब इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है।
फिर भी अभी वाहनों से निकलने वाला धुआं दिल्ली के प्रदूषण सबसे बड़ी भूमिका निभा रहा है। दिल्ली के प्रदूषण में पराली की चर्चा भी खूब होती है। इन सबके बीच विभिन्न स्रोतों से निकलने वाली गैसें भी वातावरण में आपस में मिलकर सल्फेट, नाइट्रेट व अमोनियम जैसे प्रदूषक तत्व तैयार कर रही हैं। वातावरण में इस तरह के सेकेंडरी एरोसोल की परत भी दिल्ली में प्रदूषण का एक बड़ा कारण बन रहा है।
14 व 15 नवंबर को सबसे ज्यादा रहा वाहनों का धुआं
दिल्ली में प्रदूषण के स्रोतों की वास्तविक समय में निगरानी के लिए शुरू आर-आसमान पोर्टल के आंकड़ों इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं। यह पोर्टल बंद पड़ा था लेकिन अब इसका संचालन शुरू कर दिया गया है। इस पोर्टल पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार मौजूदा समय में दिल्ली में प्रदूषण का प्रमुख स्रोत वाहन, सेकेंडरी एरोसोल और बायोमास जलाना है। 14 व 15 नवंबर को प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण वाहनों का धुआं था।
दिल्ली के प्रदूषण के लिए ये भी हैं जिम्मेदार
सेकेंडरी एरोसोल दूसरा बड़ा कारण रहा। बृहस्पतिवार को सेकेंडरी एरोसोल प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण रहा। प्रदूषण में इसकी हिस्सेदारी 35 प्रतिशत रही। पोर्टल के अनुसार वातावरण में विभिन्न गैसें मिलकर सल्फेट, नाइट्रेट व अमोनियम के कण बनाती हैं। पावर प्लांट, रिफाइनरी, ईंट भट्ठे की चिमनी, वाहन, औद्योगिक, कृषि, जैविक अपशिष्ट अपघटन, और खुले नालों से निकलने वाले गैस इसके प्रमुख स्रोत होते हैं। ग्रेप (ग्रेडेड एक्शन प्लान) के तहत एनसीआर में अभी ईंट भट्ठे की चिमनी पर अभी प्रतिबंध है।
कई बीमारियों का मंडरा रहा खतरा
व्यावसायिक पर्यावरणीय स्वास्थ्य के विशेषज्ञ और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के ग्रेप से संबंधित सब कमेटी के सदस्य डा. टीके जोशी ने कहा कि सेकेंडरी एरोसोल विभिन्न गैसों के मिश्रण से बना प्रदूषक तत्व है। सल्फेट, नाइट्रेट जब सांस के जरिये फेफड़े में पहुंचता है जो फेफड़े को नुकसान होता है। इससे सीओपीडी (क्रोनिक आब्सट्रक्टिव डिजीज) व सांस की कई अन्य बीमारियां होने का खतरा रहता है।
दिल्ली में पिछले तीन दिनों में के प्रदूषण (पीएम 2.5) में प्रमुख स्रोतों की हिस्सेदारी प्रतिशत में तारीख वाहन सेकेंडरी एरोसोल बायोमास जलाना 14 नवंबर 45 31 15 15 नवंबर 38 30 23 16 नवंबर 26 35 28, बायोमास जलाना- इसके तहत लकड़ी, उपले, पत्तियां व कृषि अवशेष जलाने जैसे प्रदूषण के स्रोत शामिल हैं।
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