Delhi Air Pollution: दिल्ली में लगातार क्यों बढ़ रहा है प्रदूषण? सामने आई बड़ी वजह
गाजियाबाद से दिल्ली आते समय गाजीपुर टोल प्लाजा पर लगातार जाम लगा रहता है। नगर निगम के टोल प्लाजा के कारण शाम को स्थिति और भी खराब हो जाती है। पांच साल पहले किए गए सुधारों के बावजूद समस्या जस की तस है। व्यावसायिक वाहनों से टोल वसूली और लेन की कमी के कारण स्थिति और भी बिगड़ जाती है।

वी.के. शुक्ला, नई दिल्ली। गाजियाबाद से दिल्ली में प्रवेश करते समय, एनएच-9 पर गाजीपुर के पास यातायात जाम लगातार बढ़ रहा है। शाम के समय स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। यहां नगर निगम का टोल प्लाजा जाम का कारण बनता है।
गाजियाबाद से गाजीपुर आने वाले वाहन या तो धीमे हो जाते हैं या रुक जाते हैं। रात में इस सड़क से दिल्ली में प्रवेश करना पहाड़ पार करने जैसा है। व्यावसायिक वाहनों से टोल वसूली जाम को और बढ़ा रही है। बिना टोल वाले सामान्य वाहन भी इस जाम में फंस जाते हैं।
टोल लेन न होने से अन्य वाहन चालकों को काफी असुविधा होती है। नगर निगम ने राजमार्ग के किनारे खाली पड़ी डीडीए की जमीन पर टोल प्लाजा का विस्तार करके इस समस्या का समाधान करने की योजना बनाई थी, लेकिन एक साल बाद भी यह योजना लागू नहीं हो पाई है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच चुका है, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।
मई 2018 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के सराय काले खां में NH-24 के पुनर्विकसित हिस्से, मेरठ एक्सप्रेसवे (NH-9) का उद्घाटन किया था, तो उम्मीद थी कि दिल्ली सीमा पर गाजीपुर मुर्गा मंडी के पास स्थित टोल प्लाजा हट जाएगा, जिससे वर्षों से ट्रैफिक जाम से जूझ रहे लोगों को राहत मिलेगी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
हालात यह हैं कि पांच साल बाद भी नगर निगम के टोल प्लाजा से यहाँ जाम की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है, बल्कि यह कम होने के बजाय और बढ़ गई है। गाजियाबाद से दिल्ली आने-जाने वाले लोगों को अक्सर शाम के समय घंटों जाम का सामना करना पड़ता है। टोल प्लाजा के संचालन में लापरवाही इसका एक बड़ा कारण है।
शहर में प्रवेश करने वाले व्यावसायिक वाहनों से टोल और ग्रीन टैक्स (वित्तीय क्षतिपूर्ति शुल्क) भी वसूला जाता है, जिससे व्यावसायिक वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। अगर उचित व्यवस्था होती, तो एक्सप्रेसवे की प्रत्येक मुख्य सड़क की छह लेन में से दो लेन व्यावसायिक वाहनों के लिए और बाकी चार सामान्य यातायात के लिए आरक्षित होतीं। लेकिन ऐसा होता नहीं है।
सबसे पहले निकलने की चाह में व्यावसायिक वाहन पूरी सड़क पर कब्ज़ा कर लेते हैं, जिससे भीषण जाम लग जाता है। आम लोग इन लंबे जाम में फँस जाते हैं। इससे समय और ईंधन की बर्बादी होती है, प्रदूषण बढ़ता है और एक गंभीर समस्या पैदा होती है।
ऐसा नहीं है कि इस समस्या की जानकारी किसी को नहीं है; दिल्ली सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक, सभी को इसकी जानकारी है। फिर भी, इसका कोई समाधान नहीं निकला है।
ट्रैफिक जाम से वाहन चालकों को होने वाली असुविधा को देखते हुए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने हाल ही में इस मुद्दे को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन अभी तक सर्वोच्च न्यायालय का कोई निर्देश नहीं मिला है। एक साल पहले बनी टोल स्टेशन को स्थानांतरित करने की योजना पर अमल नहीं हुआ है।
यहां ट्रैफिक जाम को कम करने के लिए, नगर निगम ने लगभग एक साल पहले गाजीपुर के पास एक अतिरिक्त टोल बूथ बनाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (डीएचए) से लगभग 7,000 वर्ग मीटर ज़मीन का अधिग्रहण किया था। इससे टोल बूथों की संख्या बढ़ जाएगी। वर्तमान में, केवल दो टोल बूथ चालू हैं। बूथों की कम संख्या भी ट्रैफिक जाम में योगदान देती है।
शहर में टोल प्लाजा के कारण लगने वाले ट्रैफ़िक जाम की समस्या अब बढ़ती जा रही है। दिल्ली में, शहर के आसपास की प्रमुख सड़कों पर यह समस्या मौजूद है, लेकिन गाज़ीपुर में यह ज़्यादा गंभीर है। इसका समाधान संभव है।
इस समस्या के समाधान के लिए गंभीर और रणनीतिक कार्य की आवश्यकता है। नई तकनीक विकसित हो रही है जो बिना वाहन रुके टोल शुल्क काट लेती है। दिल्ली में भी ऐसे प्रयोग करने होंगे और टोल व्यवस्था पर भी ध्यान देना होगा।
-डॉ. पी.के. सरकार, पूर्व प्रोफेसर, परिवहन योजना शाखा
योजना एवं वास्तुकला विद्यालय
जब भी कोई सरकारी संस्था या निकाय किसी कंपनी को अनुबंधित करता है, तो व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़े नियम होते हैं। टोल प्लाज़ा के संबंध में, जिस कंपनी को अनुबंध दिया गया है, उसके टेंडर में यह भी प्रावधान है कि टोल प्लाज़ा के कारण ट्रैफ़िक जाम नहीं होगा।
कंपनी यह सुनिश्चित करने के लिए भी जिम्मेदार है कि टोल संग्रह प्रणाली यह सुनिश्चित करे कि व्यावसायिक वाहनों के अलावा सभी वाहनों के लिए सड़क खाली रहे। अगर ऐसा नहीं किया जा रहा है, तो नगर निगम को कंपनी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए।
-बृजपाल सिंह, विशेषज्ञ - सड़क परिवहन और पूर्व वरिष्ठ अभियंता - लोक निर्माण विभाग
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